जीवन की स्पीड का सेहत की स्पीड के साथ तालमेल कैसे बनके रखें

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आज की आधुनिक जीवन-शैली

आइए,सबसे पहले आधुनिक जीवन-शैली पर चर्चा करते हैं। इस आधुनिकता ने व्यक्ति के जीवन की स्पीड या गति को इतना अधिक बढ़ा दिया है, कि वह चौबीसों घंटे आगे बढ़ने यानी पैसे कमाने की जद्दोजहद में उलझा रहता है।

अपने पीछे और आजू-बाजू में देखने का उसके पास नाममात्र ही वक़्त बच पाता है।

न चैन से खाना-पीना हो पाता है और न ही सोना। हालत ऐसी हो गयी है कि भागते-भागते खाना खाता है।

कभी-कभी तो बस या फिर कार आदि में ही अपनी थोड़ी-सी पेट पूजा से काम चला लेता है।

मतलब यह कि व्यक्ति के पास संतोष के साथ समय पर संपूर्ण और पौष्टिक आहार ले पाना असंभव-सा हो गया है।

इस आगे बढ़ने की धुन या जीवन की स्पीड ने उसकी पारंपरिक और स्वस्थ या सेहतमंद बनाए रखने वाली जीवन-शैली को पूरी तरह से भंग कर दिया है। उसके पास पैसा आ रहा है, सुविधाएं आ रही हैं मगर स्वास्थ्य की दौलत निरंतर घटती जा रही है और इस मामले में वह निरंतर दरिद्र होता जा रहा है।

आपको यह जान कर हैरानी होगी कि हमारे देश भारत की यह स्थिति हो गयी है कि प्रति वर्ष खराब जीवन-शैली के चलते लगभग 52 प्रतिशत लोग गंभीर रोगों का शिकार बन जाते हैं।

जंक फूड की आदत

जीवन की गाड़ी की तेज स्पीड और समय के अभाव के कारण व्यक्ति को साधारण और पौष्टिक भोजन या आहार से नाता टूटता जा रहा है तथा वह जंक फूड पर आश्रित होता जा रहा है।

उसे जहां भी थोड़ा-बहुत समय मिलता है, वह इसे अपने पेट के हवाले कर देता है और इतना भी नहीं सोचता कि यह उसके पेट को सिर्फ डस्टबिन बनाने के सिवा कुछ नहीं करता।

इसके अलावा उसकी नींद का अभाव, मेहनत से बचकर आराम से बैठकर काम करने का रूटीन, आधुनिक पेय तथा नशीले पदार्थों के सेवन की आदत भी उसके स्वास्थ्य को बिगाड़ने में महती भूमिका निभाती है।

खराब जीवन-शैली से उत्पन्न रोग

जीवन की अत्यधिक स्पीड के कारण जीवन-शैली में आए बदलावों के फलस्वरूप व्यक्ति समय से पहले और आवश्यकता से ज्यादा गंभीर रोगों के शिकार बनते जा रहे हैं जैसे कि, मोटापा, डायबिटिज, उच्च रक्तचाप तथा कोलेस्ट्रॉल, तनाव, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, ह्रदय रोग, उदर की समस्याएं, कमर व गरदन का दर्द, आंखों के रोग, कैंसर आदि।

इन रोगों पर जीवन पर प्रभाव

हमारे जीवन की गति के कारण हमारी सेहत पर लगने वाले ब्रेक के परिणामस्वरूप उत्पन्न इन गंभीर रोगों के हमारे जीवन पर दीर्घकालिक तथा विनाशक प्रभाव देखने को मिलते हैं।

इसका कारण यह है कि अक्सर लोग समय से पहले ही गंभीर रोगों का शिकार बन जाते हैं और इसी कारण उनके इलाज में काफी धन खप जाता है और ठीक होने में समय भी बहुत लगता है।

इसके अलावा यदि व्यक्ति उस रोग के कारण मर जाता है तो उसके परिवार पर आफत आ जाती है। कभी-कभी तो उसके बच्चों के स्वर्णिम भविष्य का सपना ही टूट डाता है।

सबसे बड़ी बात एक यह भी है कि इस तरह व्यक्ति लंबे समय तक संसार का सुख भोगने के बजाय कम उम्र में काल का निवाला बनकर रह जाता है।

स्थिति में सुधार के उपाय

व्यक्ति खुद को आधुनिकता से जितना चाहे उतना जोड़ कर रखे मगर अपनी जीवन-शैली को थोड़ा पारंपरिक बना कर रखने की कोशिश करे।

घर के बड़े-बुजुर्ग अपनी सेहत को बनाए रखने के लिए जिन नियमों का पालन करते थे उनको सीखे और पालन करे।

1) अपने खान-पान की आदत को इतनी भी खराब न करे कि उसके कारण सेहत बिगड़ने लगे।

घर का बना खाना खाने की कोशिश करे और जंक फूड की गलत आदत का शिकार बिलकुल भी न बने। आहार पौष्टिक ले और स्वाद से ज्यादा सेहत पर ध्यान दे।

अपने लिए ऐसी डिश की सूची बनाकर चले जिससे शरीर को पूरा पोषण मिलता रहे। खान-पान के मामले में पैसे के दिखावे का विचार मन से त्याग कर सादा या पौष्टिक आहार ले।

2) नींद का बलिदान करके धनार्जन का उपाय करना बुद्धिमत्ता नहीं है। समय पर सोना और जगना ही मनुष्य के काम में बरकत करता है तथा उसकी सेहत को बनाए रखता है।

इसीलिए अपनी दिनचर्या को ऐसा बनाएं कि आपके सब काम भी समय पर निबट जाए और की नींद भी पूरी हो जाए। नींद से कभी-कभार तो समझौता चल सकता है मगर इसका रोज रूटिट हानिकारक होता है।

3) मेहनत करनी आदत को बिलकुल ही त्याग कर बस आराम की जिंदगी जीने की तमन्ना पर थोड़ा कंट्रोल करें। शारीरिक मेहनत और सेहत का सच्चा साथ होता है और सेहत तभी ठीक रहती है जब इसे मेहनत का साथ मिला रहता है।

इसीलिए जहां भी अवसर मिले शारीरिक मेहनत करने से बिलकुल भी परहेज न करें।

अगर ऐसा नहीं कर सकते तो अपनी आयु तथा शारीरिक अवस्था के अनुसार व्यायाम या कसरत करने की आदत डाल लें।

योगाभ्यास या व्यायाम को नियमित रूप से करने से भी सेहत बेहतर बनी रह सकती है।

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