अहंकार और लालच बुरी बला है

अहंकार और लालच बुरी बला है

हंस और मूर्ख कछुआ

एक बार की बात है। एक कछुआ और दो हंस आपस में बहुत अच्छे मित्र थे।

एक साल बारिश बिलकुल नहीं हुई और जिस तालाब में वे रहते थे, वह सूख गया। कछुए ने एक योजना बनाई और हंसों से बोला, “एक लकड़ी लाओ। मैं उसे बीच में दाँतों से दबा लूँगा और तुम लोग उसके किनारे अपनी चोंच में दबाकर उड़ जाना और फिर हम तीनों किसी दूसरे तालाब में चले चलेंगे।”

हंस मान गए। उन्होंने कछुए को चेतावनी दी, “तुम्हें पूरे समय अपना मुँह बंद रखना होगा। वरना तुम सीधे धरती पर आ गिरोगे और मर जाओगे।”

कछुआ तुरंत मान गया। जब सब कुछ तैयार हो गया तो हंस कछुए को लेकर उड़ चले। रास्ते में कुछ लोगों की नजर हंसों और कछुए पर पड़ी।

वे उत्साह में आकर चिल्लाने लगे, “देखो, ये हंस कितने चतुर हैं। वे अपने साथ कछुए को भी ले जा रहे हैं।” कछुए से रहा नहीं गया। वह उन लोगों को बताना चाहता था कि यह विचार तो उसके मन में आया था।

वह बोल पड़ा लेकिन जैसे ही उसने मुँह खोला, लकड़ी उसके मुँह से छूट गई और वह सीधे धरती पर आकर गिर पड़ा। अगर उसने अपने अहंकार पर नियंत्रण कर लिया होता तो वह भी सुरक्षित नए तालाब में पहुँच जाता।

लालची कुत्ता

एक कुत्ता इधर-उधर घूम रहा था। तभी उसे हड्डी का एक टुकड़ा पड़ा मिला। उसने हड्डी का टुकड़ा उठा लिया और इधर–उधर देखने लगा।

जब उसे कोई नहीं दिखा, तो वह टुकड़ा लेकर भाग निकला। अब वह किसी एकांत और शांत स्थान की खोज करने लगा, जहाँ वह बैठकर आराम से हड्डी चबा सके।

वह एक नदी किनारे पहुँचा और उसके ऊपर बने लकड़ी के पुल से नदी पार करने लगा। जब वह पुल पार कर रहा था तभी उसकी निगाह नदी के पानी पर पड़ी। उसे पानी में अपनी ही छवि दिखाई दी। उसने अपनी ही छवि देखकर समझा कि वह कोई और कुत्ता है, जो हड्डी का टुकड़ा भी मुँह में दबाए है।

उसके मन में लालच आ गया। उसने दूसरे कुत्ते की हड्डी छीनने का निश्चय किया। दूसरे कुत्ते को डराने के लिए वह जोर से भौंका।

भौंकने के लिए उसने जैसे ही मुँह खोला, उसकी हड्डी पानी में गिर गई। उसने हड्डी दुबारा उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन हड्डी तो पानी में नीचे चली गई थी। इस प्रकार, कुत्ते ने दूसरे कुत्ते की हड्डी पाने के चक्कर में अपनी हड्डी भी गँवा दी।

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2 Responses

  1. Sandhya Tupe says:

    Whatsapp वर तेच तेच topics repeat होत असतात . Please avoid it.

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