शारीरिक शक्ति से बुद्धि बलवान होती है।
किसी राजा के महल में बहुत ही खूबसूरत बगीचा था। उस बगीचे के पास बड़ा सा तालाब था।
तालाब के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था। उस पेड़ पर कौवे के एक जोड़े ने अपना घोंसला बना लिया था।
जब बंसत का मौसम आया, तो कौवी ने घोंसले में अंडा दिया। दोनों मिलकर अंडे को सेने लगे। कुछ दिनों बाद उसमें से प्यारे-प्यारे चूजे निकले।
कौवे का जोड़ा उन्हें देख खुशी से फूले नहीं समाये। उसी पेड़ के एक कोटर में एक भयानक काला सांप रहता था।
वह बहुत ही धूर्त था। वह छोटे-छोटे चूजों की आवाज सुनकर उन्हें खाने की ताक में रहने लगा।
एक दिन जब कौवे का जोड़ा बच्चों के लिए दाना लाने गए हुए थे, तब वह सांप चुपचाप पेड़ पर चढ़ गया और चूजों को खा गया।
वापस लौटने पर अपने घोंसले को खाली देखकर कौवे का जोड़ा बहुत परेशान हो गया। उन्होंने बच्चों को चारों ओर ढूंढ़ा, पर वे नहीं मिले।
कौवी विलाप करने लगी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके बच्चे कहां गायब हो गए थे। कौवे ने कौवी को ढाढस बंधाते हुए कहा “ प्रिय, चिंता मत करो। जिसने भी ऐसा दुष्कर्म (बुरा काम) किया है उसे सजा जरूर मिलेगी।”
अगले दिन जब कौवी खाना ढूंढने गई तो कौवा छुपकर पत्तों में बैठ गया। तभी उसने काले सांप को कोटर में से निकलते देखा।
कौवे ने तुरंत ही समझ लिया कि इसी काले सांप ने उसके बच्चों को खा लिया है। वह सांप से निबटने के लिए विचार करने लगा।
उसी समय एक राजकुमार तालाब में स्नान करने आया। उसने अपने कपड़े एवं सोने की चेन को उतारकर तालाब के किनारे पर रख दिया और तालाब के ठंडे पानी में जाकर तैरने लगा।
तभी वह कौवा उड़ते हुए नीचे आया और सेवकों की नजर से बचकर चेन लेकर, पेड़ की कोटर में डालकर, डाल पर बैठ गया।
राजकुमार ने बाहर आकर अपने कपड़े पहने, पर चेन उसे नहीं मिली। सभी पहरेदार और सेवक चारों ओर सोने की चेन को ढूंढने लगे।
जब उन्होंने पेड़ के कोटर में देखा तो चेन वहीं पड़ी दिखाई दी। पास में ही काला सांप कुंडली मारे हुए बैठा था।
आनन-फानन में सेवकों ने उस काले सांप को मार डाला और चेन लेकर राजकुमार को दे दी।
शाम को कौवी वापस अपने घोंसले में लौटी तो कौवे ने उससे कहा, “ अब हम लोग सुरक्षित हैं। धूर्त सांप मारा जा चुका है।”
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