झूठा हमेशा रोता

झूठा हमेशा रोता

बहुत पुरानी बात है। एक छोटासा गांव था।

उस गांव में गोकुल नाम का एक बालक रहता था। उसके पिता एक गरीब कुम्हार थे।

वह मिट्टी के बरतन बना कर गांव वालों को अनाज के बदले में बेचते थे।

गोकुल की मां अक्सर बीमार रहती थी और इसी कारण गोकुल व उसके पिता को अपने काम के साथ-साथ उसकी देखभाल भी करनी पड़ती थी।

गोकुल वैसे तो बहुत ही मेहनती और अच्छा लड़का था मगर उसमें एक बहुत ही गंभीर बुराई थी।

वह बुराई यह थी कि वह झूठ बोलने से कभी बाज नहीं आता था।

वह खुद को औरों से बेहतर दिखाने के लिए अक्सर झूठ बोलता रहता था।

गरीब था मगर बाहर अनजान लोगों के सामने अपनी असलियत को छिपाने के लिए झूठ पर झूठ बोलता रहता था।

माता-पिता उसे बहुत समझाते थे कि उसे झूठ नहीं बोलना चाहिए।

उसे लोगों के सामने खुद को वही दिखाना चाहिए जो वह है।

उसे अपनी गरीबी पर झूठ के पैबंध लगा कर अमीर बनने का स्वांग नहीं करना चाहिए।

मगर गोकुल उनकी हर बात को अनसुनी कर देता था।

एक बार उनके गांव में वर्षा न होने के कारण अकाल की स्थिति पैदा हो गई।

खेतों में खड़ी फसलें पानी के अभाव में सूखकर बर्बाद हो गई।

खेत रेगिस्तान जैसे विरान और सूखे इलाके में बदल गए।

जोहड़, कुएं और जलाशय सब सूखने की कगार पर पहुंच गए।

भोजन और पानी के लिए हाहाकार मच गया।

भूख और प्यास से पशु -पक्षी तो क्या इंसान तक मरने लगे।

गोकुल के परिवार की भी बुरी हालत हो गई।

उसकी बीमार मां ने तो बिलकुल ही बिस्तर पकड़ लिया और भोजन, पानी व दवा के अभाव में मृत्यु के निकट तक जा पहुंची।

गोकुल के पिता से जितना बन पड़ा किया मगर फिर ऐसा दिन आ गया कि घर में खाने के लिए अन्न और पीने के लिए पानी का इंतजाम करना बड़ा मुश्किल हो गया।

एक रोज़ सुबह-सुबह गांव में मुनादी हुई कि जिस भी गरीब परिवार के घर में अन्न और जल की व्यवस्था नहीं है वह राजमहल में जाकर अपना नाम दर्ज करा दे।

उसके लिए राजा की तरफ़ से भोजन-पानी का इंतजाम हो जाएगा।

गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए यह बहुत बड़ी खबर थी।

इस ख़बर के सुनते ही गांव के सब गरीब राजमहल की तरफ दौड़ पड़े।

पिता के कहने पर गोकुल भी अपने परिवार का नाम दर्ज कराने के लिए राजमहल की तरफ़ चल दिया।

रास्ते में उसे अपनी ही उम्र का एक अन्य लड़का मिला।

वह लड़का फटे-पुराने कपड़े पहने हुए था और बहुत गरीब लग रहा था।

उसने गोकुल से जब यह पूछा कि, ‘क्या तुम भी मेरी तरह गरीब हो और राजमहल में अपने परिवार का नाम दर्ज कराने जा रहे हो?’

तो गोकुल ने झूठ बोलना शुरू कर दिया।

उसने कहा कि वह तो उज्जैन का राजकुमार है और भेष बदल कर अकाल पीड़ितों की हालत का जायजा लेने के लिए निकला है इसीलिए साधारण कपड़े पहने हुए है।

इसके अलावा भी पूरे रास्ते उसने खूब झूठ बोले ताकि वह लड़का उसको सच में ही राजकुमार मान ले।

फिर जब राजमहल निकट आया तो दोनों ने अपने अलग-अलग रास्ते पकड़ लिए ।

जैसे ही गोकुल राजमहल पहुंचा तो उसने देखा कि वहां जिन गरीबों का नाम दर्ज किया जा रहा था उन्हें राशन बांटने के साथ-साथ भरपेट भोजन व पानी भी दिया जा रहा था।

गोकुल यह देखकर बहुत खुश हुआ क्योंकि वह भी बहुत भूखा-प्यासा था।

मगर जैसे ही वह अपने परिवार का नाम दर्ज कराने के लिए आगे बढ़ा तो सैनिकों ने उसे तुरंत रोक दिया और कहा कि, ‘तुम तो उज्जैन के राजकुमार है, भला तुम्हें इस खैरात की क्या जरूरत है?’

यह सुनकर गोकुल सन्न रह गया और बहुत शर्मिंदा भी हुआ।

मगर बाद में जब उसे यह पता चला कि वह रास्ते में जिस बालक से मिला था वही असली राजकुमार था और भेष बदल कर अकाल से दुखी लोगों की हालत देखने के लिए महल से बाहर निकला था।

गोकुल के झूठे स्वभाव से नाराज होकर ही राजकुमार ने यह आदेश दिया है कि उसे कोई सहायता न दी जाए, क्योंकि झूठों को दंड दिया जाता है ,मदद नहीं।

तो गोकुल तुरंत राजकुमार से मिला और उनसे रो-रोकर माफ़ी मांगने लगा।

मगर राजकुमार ने उसे डांटकर महल से बाहर निकाल दिया।

ऐसेमें खाली हाथ घर लौटते हुए दुःखी गोकुल बार-बार अपनी झूठ बोलने की आदत पर पछतावा कर रहा था।

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