जीवन में सुख और कामयाबी लेकर आएंगे आपके ये चार गुण

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जीवन में सुख और कामयाबी लेकर आएंगे आपके ये गुण, इन पर दीजिए ध्यान…

विद्यार्थी हो या परीक्षार्थी, व्यवसायी हो या सामान्य गृहस्थ अगर इन गुणों को धारण कर आगे बढेंगे तो निश्चय ही सुख और कामयाबी से भरा जीवन जी पाएंगे।

संसार में ऐसा कोई आदमी न होगा जो अपने जीवन में सुख और कामयाबी की तमन्ना न रखता हो।

हर व्यक्ति ईश्वर से यही प्रार्थना करता है कि उसे जीवन में भरपूर सुख और कामयाबी प्राप्त हो।

साथ ही व्यक्ति अपना पूरा जीवन इन्हीं को पाने की खातिर श्रम और संघर्ष में बीता देता है।

मगर ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जिन्हें जीवन में सबकुछ मनचाहा मिलता है।

ज्यादातर लोगों को जो मिलता है उसी में समझौता करना पड़ता है।

ऐसे लोग सदा इसी असमंजस में पड़े रहते हैं कि मेहनत और संघर्ष तो उन्होंने भी बहुत किया था पर मनचाहा सुख व सफलता उनके भाग्य में ही नहीं थी।

दोस्तो, सुख और कामयाबी सिर्फ भाग्य से नहीं मिलते हैं।

इन्हें पाने के लिए मनुष्य को अपने अंदर कुछ खास गुणों को पैदा करना पड़ता है, और उनका पालन करते हुए प्रयास करना पड़ता है।

जो व्यक्ति ऐसा करना सीख जाता है कामयाबी उसके जीवन का स्थाई हिस्सा स्वतः ही बन जाते हैं।

आइए जानें कि वे कौन से गुण हैं जिनको पायदान बना कर हम आसानी से सुख व सफलता या कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ सकते हैं।

१) धैर्य और उत्साह

धैर्य को साधारण भाषा में वह अंदरूनी ताकत कह सकते हैं जो विपरीत परिस्थितियों में हमें सामान्य बने रहने में सक्षम बनाती है।

अगर मन धैर्य धरना सीख जाता है तो उसमें सहनशीलता का गुण भी स्वतः ही उत्पन्न हो जाता है।

जब हम धैर्य और सहनशीलता को अपना स्वभाव बना लेते हैं तो कई प्रकार की मानसिक कुंठाओं से मुक्त हो जाते हैं, जैसे क्रोध, ईर्ष्या, भय, हीनता आदि।

साथ ही जब हमारा मन इन अवगुणों से छुटकारा पा जाता है तो उसमें उत्साह और आनंद का स्थाई वास हो जाता है।

यही उत्साह हमारे भीतर कुछ खास करने की इच्छा पैदा करता है और हम अपने जीवन के किसी खास लक्ष्य के प्रति समर्पित भाव से काम करने का निर्णय ले पाते हैं।

अतः हमारे सुख और कामयाबी की सीढ़ी का पहला पायदान धैर्य, सहनशीलता तथा उत्साह हैं। इन्हें अर्जित करने का प्रयास इसी क्षण से शुरू कर दीजिए।

२) दृढ़ इच्छाशक्ति व सकारात्मक सोच

मान लो जब आपको यह पता हो कि आपको फलां पर्वत की शिखर पर चढ़ना है तथा उस पर जाने वाले रास्ते में बहुत-सी कठिनाइयां सामने आएंगी।

तब आपका सहारा आपकी दृढ़ इच्छाशक्ति व सकारात्मक सोच ही बनेगी, क्योंकि इनके बिना व्यक्ति किसी भी कार्य को उतना मन लगाकर नहीं कर पाता कि उसमें सफलता का आनंद ले पाए।

इन गुणों या खूबियों के अभाव में वह जरा-सी बाधा उत्पन्न होते ही हिम्मत हार बैठता है तथा आगे बढ़ने के बजाय पीछे हटने लगता है।

उसमें उस लक्ष्य के प्रति नकारात्मक सोच बन जाती है तथा जिस कारण वह अपने उस निर्धारित लक्ष्य को पाने से पहले ही हार जाता है।

इसलिए दृढ़ इच्छाशक्ति व सकारात्मक सोच आपके सुख और कामयाबी की सीढ़ी का दूसरा पायदान है।

आप इस पायदान पर जितनी मजबूती से पैर जमा पाएंगे उतनी ही आसानी से सुख व कामयाबी की तरफ बढ़ पाएंगे।

३) परिश्रम एवं कर्मठता

जब व्यक्ति में कुछ काम करने या कोई लक्ष्य प्राप्त करने की दृढ़ इच्छाशक्ति उत्पन्न हो जाती है तथा उसे सकारात्मक सोच का बल मिल जाता है तो वह परिश्रम करने या कर्मठता की ओर बढ़ता है।

उसमें अपने कार्य के प्रति रुचि पैदा हो जाती है एवं वह काम करने या विद्यार्थी /परीक्षार्थी अध्ययन करने में आनंद की प्राप्ति करने लगता है।

जैसे-जैसे उसमें श्रम का गुण गहराई से जड़ पकड़ता जाता है वह बिना थके और बिना रुके काम करने की सामर्थ्य हासिल कर लेता है। फलतः सुख और कामयाबी की तरफ बढ़ता जाता है।

अतः परिश्रम या कर्मठता का गुण हमारे सुख और कामयाबी की सीढ़ी का तीसरा पायदान है।

जो व्यक्ति धैर्य, उत्साह, दृढ़ इच्छाशक्ति, सकारात्मक सोच, परिश्रम या कर्मठता के गुणों को ग्रहण कर लेता है समझ लो कि वह अपनी मंजिल के करीब पहुंच जाता है।

४) आत्मविश्वास और संघर्ष

जब व्यक्ति के स्वभाव में परिश्रम का गुण ढल जाता है तो उसमें आत्मविश्वास भी पैदा हो जाता है तथा वह बिना घबराए संघर्ष करने पर आमदा हो जाता है।

उसका आत्मविश्वास उसे इतना समर्थ बना देता है कि कोई भी बाधा या अड़चन उसे आगे बढ़ने से नहीं रोक पाती।

फलतः वह संघर्ष करते हुए एक दिन अपनी मंजिल पर पहुंच जाता है तथा उसे अपना मनचाहा सुख व कामयाबी प्राप्त हो जाते हैं।

अतः हमने यहां जिन गुणों का उल्लेख किया है वे गुण हमारे जीवन में सुख और कामयाबी की सीढ़ी के क्रमगत पायदान हैं और उन पायदानों पर चढ़कर कोई भी अपने जीवन में सुख, सफलता या कामयाबी प्राप्त कर सकता है।

इनके अभाव में कुछ भी पाना मुश्किल है। इसीलिए इसी क्षण से इन गुणों को अपने स्वभाव का अंग बनाने का प्रयास आरंभ कर दीजिए।

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