माँ और बेटे के रिश्तें की टॉम एंड जेरी, वाली प्यार भरी तू-तु मैं-मैं

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लेखन : मधु चतुर्वेदी

प्यारे कान्हा,

बाबू मेरी जैसी माँ को कैसे झेलता है तू?….

पिछले  7  महीने से तेरे स्कूल की आन लाइन क्लास की जो जासूसी मैं कर रही हूँ वो लिमिट क्रॉस है…

“कान्हा तेरा कैमरा आन नही है…। …ना ना मैंने देखा तू अभी हँस रहा था… स्क्रीन पर ऐसा फनी क्या था… तेरी क्लास के दूसरे बच्चे लगातार मैम से सवाल करते और जवाब देते रहते है।”

“उनको सुनकर तो मेरा कलेजा कचोट जाता है…. तू कभी टीचर से कुछ क्यों नही पूछता..?”

मंम्मा मैं जबरदस्ती क्या पूछुं?

“सुन तुझे क्लास में कोई डाउट नही…?”

“टीचर ने जो पढ़ाया पूरा समझ आ गया मतलब?”

“मतलब एग्जाम में 100 में 100 मिलने वाले है।”

अरे मंम्मा ये लोग सवाल नही कर रहे है….ये लड़का सिर्फ टीचर को इरिटेट कर रहा है…

ये लड़की जिसे आप इंटेलिजेंट समझ रहे हो ओवर स्मार्टनेस दिखा रही है ।…

बिट्टू तुझे सारे होशियार बच्चों से चिढ़ है भगवान कसम!!

मंम्मा आप मेरे दोस्तों के नम्बर पूछते हो फिर तय करते हो कि वो अच्छा बच्चा है या नही।

मुझे इस सब्जेक्ट में कोई डाउट नही। आप प्लीज़ रूम से बाहर जाओ।

“बाबू डाउट उसी बच्चे को होते है जो टीचर को ध्यान से सुन रहा है।”

“तू तो अपने ख्यालों में गुम एकदम पत्थर की मूरत बना क्लास अटैंड करता है। जैसे टीचर नही बल्कि पंडित जी सत्यनारायण की कथा बाच रहे है।”

“क्लास चलते टाइम, बस तू हाथ मे चावल, फूल और राख लिया कर!! मैं कुछ नही जानती। तुम लैपटॉप ऐसे रखोगे कि मुझे स्क्रीन दिखना चाहिए।”

मैं स्क्रीन दिखाते हुए लैपटॉप रखूँगा तो आप बीच बीच में आकर..

ये तेरी क्लास का लड़का ऐसे लम्बे बाल रखा है… सर इसे डाँटते नही? ये गधा लड़का कैमरे के सामने ज्यादा रोल मार रहा है..

“कान्हा मुझे मालूम है कि तुम लोग चलती क्लास में सब दोस्त चैटिंग में बिजी रहते हो।”

“हेड फोन लगाने की जरूरत नही है। क्या मालूम तू क्या सुन रहा है।”

“मैं तेरे क्लास टीचर को कॉल करुँगी…।”

मैं अपने सर को बोलूंगा आपको ब्लॉक कर दे।

“तेरा जितना दिमाग मोबाइल, फिटबिट, लैपटॉप, अलेक्सा,, यूट्यूबर और ऑन लाइन गेमर बनने में लगाता है, उतना दिमाग पढ़ाई में लगता तो मैं वैतरणी पार कर लेती…।”

“बाबू हर जेनरेशन को अपने पैरेंट्स पुराने ख्यालों के लगते है…”

“बोरिंग बातों वाले लगते है। तेरी एज में गलत चीज ज्यादा अट्रैक्ट करती है।”

“कुछ बातें मैं खुलकर नही कह पाती लेकिन लॉक डाउन की वजह से स्कूल और ट्यूशन मिलाकर जिस तरह बच्चों को 8 से 9 घण्टे लैपटॉप में गुजारने पड़ रहे है उसमें शारीरिक गतिविधियाँ कम और मानसिक प्रदूषण बढ़ा है….।”

“सर्वे में आया है कि इंटरनेट यूज करने वाले 12 साल तक के 70 प्रतिशत बच्चे अश्लील सामग्री देख चुके है। आँकड़े बेहद चिंता जनक है।”

“मेरी फिक्र मुझे जायज़ लगती है शायद दूसरे अभिभावक को नही। सबके सोचने का अपना तरीका है।”

“दुनिया के सौ मुँह और सौ बाते…। कुछ लोग सलाह देंगे बच्चों को खुला छोड़ दो… रोक टोक से वो बिगड़ते है।”

“सही गलत का निर्णय उन्हें खुद करने दो…. लेकिन जब बच्चा कोई बड़ा कांड कर दे फिर बोलेंगे बच्चो को खुली छूट दे दी थी पेरेंट्स ने।”

“उन्होंने कभी अपने बच्चे पर नजर ही नही रखी। बच्चा कुछ गलत करे तो उसकी परवरिश और पृष्ठभूमि पर प्रश्रचिन्ह लगते ही है।”

“जिस तरह हमारे समाज में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़े है….”

“जिस तरह पोर्न देखने में भारतीय पुरुष विश्व में छ्ठे स्थान पर है….. जिस तरह भारत बलात्कार के ग्राफ में सबसे ऊंचे पायदान पर खड़ा है ऐसी परिस्थिति में एक कच्ची उम्र के बेटे की माँ की अंतरात्मा काँपती है।”

“जिस भी माँ को सामाजिक जिम्मेदारी समझ आती है वो हर वक्त बेटे की गतिविधियों और बदलाव के प्रति सजग रहती है।”

“वास्तव में मातृत्व सुख “जिम्मेदारी” की व्याकुलता भी साथ लाती है। मेरा मन तुम्हे लेकर हमेशा आशंकाओं से भरा रहता है।”

समाचार पत्र में कई खबरें पढ़ती हूँ….. जैसे “स्कूली दोस्तों की पार्टी में मामूली बहस में लड़के की जान चली गयी”

या “युवक तेज बाइक चलाते एक्सीडेंट में मृत” पढ़कर उसके अनदेखे माँ बाप के दुःख से आकुल हो जाती हूँ ।

“भले परिवारों में माँ बाप बेखबर थे और बेटे द्वारा किसी गम्भीर अपराध को अंजाम दे देने के बाद उन अभिभावकों की मर्मान्तक पीड़ा को मैं समझ सकती हूँ।”

“लड़कियों के माता पिता उनकी सुरक्षा के मद्दे नजर चिंतित रहते है लेकिन लड़के की माँ यदि बेटे की परवरिश को लेकर सजग है…….यदि समाज को अपने बेटे के रूप में एक अच्छा नागरिक सौपना चाहती है तो उसका तनाव अलग तरीके का होता है।”

“ये बेहद गैर जिम्मेदाराना बयान है कि बच्चे अपने आप पल जाते है….. टेंशन नही लेना चाहिये….।”

“यदि शारीरिक कद काठी बढ़ने को ही “पल गया” बोलना कहते है तो वास्तव में तनाव की आवश्यकता नही है….”

“लेकिन एक स्वस्थमना वयस्क के निर्माण की यात्रा में बच्चे को वैसा परिवेश देने माता पिता को निरंतर प्रयास करने होते है।”

‘हर गुजरे दिन से बेहतर वातावरण देना दायित्व हो जाता है।

“एक बेटे की माँ के भीतर अनजाना भय होता है कि कही मेरा लड़का किसी लड़की के साथ गलत ना कर दे ….।”

“सर्वे रिपोर्ट दिल दहलाने वाले है। इंटरनेट यूज़ करने वाले 15 साल तक के 70 प्रतिशत लड़के पोर्न देखने के आदि है।”

“उससे भी भयानक लगा था कि दिल्ली के निर्भया केस के सभी अपराधियो ने पोर्न देखने के बाद ही शराब पी और इस अपराध को अंजाम दिया।”

“इंडिया टुडे में एक रिपोर्ट छपी थी कि ज्यादातर यौन अपराधी बेहद शांत प्रवृत्ति के थे जिन्होने नशे की हालत में इंद्रियों से नियंत्रण खो दिया और अपना और अपने परिवार का जीवन तबाह कर लिया।”

एक उम्र में शारीरिक आकर्षण स्वाभाविक है लेकिन अपने लक्ष्य से भटकाव, उन्माद और इच्छाओं को बेलगाम की स्थिति में लाने वाला कोई भी भाव अपराध को जन्म देता है।

इंडिया टीवी ने हाल ही में दिखाया कि क्लास 8 से 10 के छात्र अपनी आन लाइन क्लास में फेक आई डी से पीरियड में पोर्न वीडियो की क्लिप पोस्ट कर रहे थे, क्लास की लड़कियों को गैंग रेप की धमकी दे रहे थे।

माता पिता यदि अपने बच्चे के चरित्र निर्माण में कुम्हार भाव से ना लगे रहे तो बच्चे के भटकने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।

सचेत माता पिता सदैव सतर्क होते है कि बच्चा किसी अनैतिक काम या बुरी आदतों के प्रति आकर्षित या संलग्न ना हो जाए।

बाबू मेरा आधा वक्त तेरे दोस्तों की गतिविधियों को वाच करने में जाता है “कान्हा तूने बताया नही तेरी क्लास के फला लड़के को दूसरे लड़के का गला पकड़ने की वजह से स्कूल से 10 दिन के लिए सस्पेंड किया गया था।”

अरे मंम्मा हमारे स्कूल में जब लड़के किसी के खिलाफ एकजुट हो जाए तो प्रिंसिपल रूम में जाकर, उसने मेरा टिफिन गिरा दिया इस बात पर भी सस्पेंड करवा सकते है।

“मैं और जानकारी के लिए पूछती हूँ… बाबू और क्या क्या होता है क्लास में?”

अरे मंम्मा कुछ नही कुछ लड़कों की कोशिश होती है कि किसी भी तरह स्कूल में उनके पास अपना खुद का एक गैंग हो।

कुछ लड़कों को कैम्पस में फालोवर के झुंड में घूमना पसन्द होता है।

“मैंने अचंभे से पूछा — अच्छा मतलब जिसके नम्बर ज्यादा आते होंगे उसकी धाक होती होगी अरे ये नम्बर से धाक जमना?”

ये सब लड़कियों में होता होगा। लड़के तो अपनी महंगी चीजों के शो आफ करके या फिर, जैसे अगर स्पोर्ट्स में टीम में सलेक्ट हो गए तो या फिर सीनियर क्लास में बड़ा भाई है तो उसकी गुंडागर्दी धौंस, किसने अपनी बर्थ डे पार्टी किस होटल में दी की शेखी। किसके पेरेंट्स ने बर्थ डे में क्या गीफ्ट किया। यहाँ तक कि ग्राउंड में किसने नाइके के स्टर्डस पहने… किसने एडिडास की जर्सी।

“माई गॉड तेरे संग के लड़के इतने लफाड़ू है ? तू भी करता होगा पक्का?”

अरे मंम्मा अब मुझे उनका झूठ समझ आता है लेकिन चुपचाप सुन लेता हूँ ताकि वो लोग हर्ट ना हो।

मंम्मा मैं कल आर्यन को बता रहा था कि सभी पेरेंट्स बच्चो को बिना वैक्सीन स्कूल नही भेजना चाहते लेकिन मेरी मंम्मा यदि आज स्कूल का लॉक खुला देखे तो आज ही धक्का मारकर अंदर भेज दे।

भले टीचर्स अपने घर से बैठकर आन लाइन पढ़ाए लेकिन वो मुझे स्कूल में बैठकर आन लाइन अटैंड करवा देगी।

मैंने हँसकर पूछा, “बाबू तू मेरे मन की बात कैसे जान लेता है?”

मंम्मा ये जो आप हर चार दिन में मेरे से बोलते हो… कान्हा तेरे स्कूल अगले महीने से खुलने वाले है। असल में आप मुझे बताते नही, धमकाते हो।

आप भी जानते हो स्कूल नही खुलने वाले।

ये सच है कि मैं अभी भी स्कूल नही जाना चाहता।

मुझे वहाँ मुँह उतारे चुपचाप टीचर्स को सुनते रहना बोरिंग लगता है।

मुझे सिर्फ स्पोर्ट्स पीरियड में मजा आता है।

“तू छोड़ दे पढ़ाई लिखाई । मोबाइल दीवाना होकर गाने सुन, यूट्यूबर के व्यूज चेक कर, आन लाइन गेम खेल।”

“बड़ा होकर क्या करेगा? जाने कैसे लोगों के बच्चे इतने समझदार होते है।”

“माँ-बाप को मतलब नही और बच्चें अपनी पढ़ाई की फ़ीक़र खुद कर रहे।”

“तुझे तो मैं ना चिल्लाऊं तो बिना नहाए खाए मोबाइल चलता…. बस पाँच मिनिट, बस पाँच मिनिट करता रहेगा।”

है, भगवान मेरे बच्चे को कब समझदार बनाओगे?

मंम्मा जितना डाँटना है डाँटो लो मगर प्लीज़ वो आपकीं स्टोरी बीच मे मत लाया करो..

किसान की बेटी ने टॉप किया.. ऑटो वाले का बेटा आईएएस बना…।

बहुत हुआ यार मेरे बच्चे, मैं और तू टॉम एंड जेरी बने लड़ते रहेंगे…

मैं तेरी जासूसी करती रहूँगी…. मोबाइल के पीछे तू पागल है बोलती रहूँगी…….

लेकिन तुझे मालूम है कि मैं तेरी किस आदत की मुरीद हूँ…।

मुझे प्यार है तेरे इमोशनल नेचर से। वास्तव में कोमल भावनाओं की उपस्थिति ही मानव होने की इकलौती शर्त है…..

वरना शारीरिक संरचना से कई लोग मनुष्य है…।

मन को सुकून मिलता है जब तुझे अपनी चीजें दूसरों के लिए छोड़ते देखती हूँ।

ये सब महानता की कोरी लफ़्फ़ाज़ी नही।

मुझे मालूम है कि दूसरों को बाँटने की आदत से तुम हमेशा बहुत सुखी रहोगे।

स्कूल बस के स्टॉप में रुकने पर बस से उतरने के लिए बच्चों की धक्के मुक्की में तुम सबसे पीछे हो जाते हो..।

अरे मंम्मा हमारी बस मुझे उतारे बिना तो जाएगी नही …

कर लेने दो इनको धक्का मुक्की। वो लोग पहले उतरने पर बहुत खुश हो जाते है।

देखना उतरकर कैसे पीछे उतरने वालों को शहंशाह स्टाइल में देखते है।

मुझे उनकी ये हरकत क्यूट लगती है। मंम्मा आज मुझे 100 रुपये दे दो..। क्यो?

अरे मंम्मा कल ग्राउंड में एक बच्चे की गेंद मेरी बैटिंग से झाड़ियों में गुम हो गयी ।

मैंने पूछा–अच्छा तो जिस किसी से बॉल गुम हुई होती है उसको बॉल खरीद कर देनी होती है। तुम्हारी बॉल भी तो दूसरों ने गुमा दी।

तुम्हे तो किसी ने खरीदकर नही दिया।

मंम्मा हमारे ग्राउंड में सब बच्चों को इतनी समझ है कि स्पोर्ट्स के सामान टूटते और गुम होते ही है।

मेरी तो सारी फुटबॉल वही दूसरों से ही फूटी है तो मैं थोड़ी ना मांग लूंगा ।

कल जिस बच्चे की बॉल मुझसे खो गयी वो बच्चा मुझे भैय्या बोलता है, छोटा है। बॉल झाड़ियों में देर तक ढूँढने के बाद नही मिली तो उसका मुँह उतर गया।

उसने उदास होकर मुझसे बस इतना बोला…. नयी बॉल थी भैय्या…..

मंम्मा मुझे सुनकर बहुत दुःख हुआ। आज उसको खरीद कर दूँगा तो वो बहुत खुश हो जाएगा।

कान्हा तुम अपने से छोटों का बेशुमार ख्याल रखते हो…. लाड़ करते हो…. उनको उदास देख दुःखी हो जाते हो….

ये बात मुझे तुम्हारे भविष्य के लिए आश्वस्त करती है।

कान्हा इंसान होने की सबसे बड़ी पहचान है दूसरे की फीलिंग की इज्जत करना।

एक पुरुष को तभी पुरुष कहा जा सकता है जब वो भावनाओं की कद्र करे।

इस बार तुम्हें अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस की बधाई भी दी तुम्हें मेरे बच्चे।

आखिर तुम बच्चे से पुरुष बनने की यात्रा में हो ❤️ ………

एक बड़े होते बच्चे की मंम्मा

Image Credit: Getti Images

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