उपवास यानी Fasting से मिलते हैं चमत्कारी फायदे, जानकर रह जाएंगे हैरान
शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो उपवास या व्रत के बारे में न जानता हो।
उपवास का मतलब होता है कि अपने यानी अपनी आत्मा के पास रहना।
अपनी इच्छा से दिनभर या कुछ ज्यादा समय के लिए भोजन का त्याग करना।
वैसे तो लगभग सभी धर्मों में किसी-न-किसी रूप में उपवास रखने की रिवाज मिलती है।
मगर हिंदू धर्म में उपवास या व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है।
इस धर्म के लोग विभिन्न देवी-देवताओं को मानते हैं तथा उनके नाम से उपवास या व्रत करते हैं।
उपवास या व्रत आप किसी भी उद्देश्य से करें इससे चमत्कारी फायदे मिलते हैं।
उपवास सेहत या स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभप्रद होते हैं।
यहां हम उपवास या व्रत से प्राप्त होने वाले फायदों के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं।
और साथ ही उपवास के दौरान रखी जाने वाली सावधानियों से भी अवगत करा रहे हैं।
1) शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है
आज की इस आधुनिक जीवन- शैली में व्यक्ति का रहन-सहन तथा खान-पान इतना अधिक बदल गया है, कि शरीर में जाने-अनजाने अनेक विषैले तत्व पहुंच जाते हैं।
तथा ये शरीर में मौजूद रहकर कई तरह की बीमारियों को पैदा कर सकते हैं।
उपवास शरीर से इन हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में काफी सहायक सिद्ध होता है।
इसका कारण यह है कि भोजन ग्रहण न करने की स्थिति में शरीर अपने अंदर उपस्थित फैट या वसा को ऊर्जा में बदलने के लिए खर्च करता है।
वह अधिकांशतः जल या अन्य तरल का सेवन करता है जिससे शरीर से वषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं।
2) मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त करता है।
उपवास का एक बड़ा फायदा यह भी होता है कि यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में भी लाभ पहुंचाता है।
उपवास के उपरांत व्यक्ति के रक्त में एंडोर्फिन नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जो बेहतर मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करता है।
उपवास व्यक्ति को व्यायाम की तरह लाभ पहुंचाता है।
3) लंबी आयु प्रदान करने में सहायक होता है।
उपवास व्यक्ति की आयु बढ़ाने में भी मदद करता है।
इससे शरीर में होने वाली ऑटोफैजी प्रक्रिया में मदद मिलती है।
ऑटोफैजी मानव शरीर की कोशिकाओं में साफ-सफाई के लिए होने वाली प्रक्रिया होती है, और इसके द्वारा शरीर की कोशिकाओं में पैदा होने वाले अपशिष्ट पदार्थ तथा अन्य हानिकारक तत्व शरीर द्वारा नष्ट कर दिए जाते हैं।
इस तरह व्यक्ति को लंबा जीवन जीने में मदद मिलती है।
4) पाचन प्रक्रिया में सुधार लाता है।
उपवास या व्रत रखने वाले व्यक्ति की पाचन प्रणाली दुरुस्त बनी रहती है और मुश्किल से ही कभी बिगड़ती है।
इसका कारण यह है कि जब व्यक्ति उपवास नहीं रखता तो वह कुछ-न-कुछ खाता रहता है।
पहले से खाई गयी चीज़ ढंग से पच भी नहीं पाती कि वह फिर से खा लेता है।
उपवास करने से पाचन प्रणाली को समय मिल जाता है तथा उसमें सुधार आता है।
5) शारीरिक मोटापे से छुटकारा दिलाता है।
यदि व्यक्ति उपवास करता है, या बारह घंटे अथवा कुछ अधिक समय तक आहार नहीं लेता है तो उसके शरीर में फिटोसिस नामक प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
जिस कारण शरीर की कोशिकाएं शरीर में जमा वसा को गलाकर उसके जरिए ऊर्जा प्राप्त करने लग जाती हैं।
इससे शारीरिक मोटापे से तो छुटकारा मिलता ही है साथ ही वज़न भी कम होता है।
6) शरीर की स्वनियमित आत्मोपचारी क्षमता को जागृत करता है।
रूसी वैज्ञानिकों के मुताबिक़ उपवास या लंबे समय तक भोजन न करने से शरीर के तंत्रिका तंत्र में एक तरह का अलार्म-सा बजने लगता है और फिर वह हार्मोन एवं अंतःस्रावी रसों की मदद से ‘सैनोजेनोसिस’
के नाम से जानी जाने वाली शरीर की स्वनियमित आत्मोपचारी क्षमता को जागृत करता है।
आपको बता दें कि आजकल की आधुनिक जीवन शैली के प्रभावस्वरूप शरीर की यह क्षमता सामान्यतः दबी ही रहती है।
मगर जैसे ही यह जागृत हो जाती है व्यक्ति का शरीर अपने आप ही खुद को नई परिस्थितियों के मुताबिक ढालते हुए रक्त शर्करा (शुगर), कोलेस्ट्रॉल, इंसुलिन आदि के स्तर में सुधार लाना शुरू कर देता है।
इसके साथ ही ऊर्जा की खपत भी क्रमशः घटती जाती है।
साथ ही श्वसनक्रिया, ह्रदयगति, पाचनतंत्र आदि मंद पड जाता है।
अतः बता दें कि उपवास की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके द्वारा योग-ध्यान की भांति रक्तचाप, दिल के रोग, दमा आदि शारीरिक व्याधियों के उपचार में सहायता मिलती है।
उपवास के दौरान कुछ विशेष सावधानियां भी रखनी चाहिए। आइए ऐसी कुछ सावधानियों के बारे में जानें-
उपवास के दौरान तेलीय खाद्य-पदार्थों के सेवन से परहेज करें। इस दौरान फलाहार करना अच्छा रहता है।
तली हुई या फ्राई चीजें खाएं तो बहुत ही हल्की तथा कम तेल वाली खानी चाहिए ताकि वे आसानी से पच जाएं तथा शरीर में ऊर्जा बनी रहे।
उपवास के दौरान बहुत अधिक परिश्रम न करें।
इससे शरीर में मौजूद कैलोरी खत्म हो सकती है और भूख का बहुत अधिक एहसास हो सकता है।
ऐसे में चक्कर आ सकता है।
इस दौरान किसी भी तरह के तनाव से मुक्त रहने की कोशिश करें।
गुस्से तथा उतेजना से दूर रहें क्योंकि इस तरह रक्तचाप संबंधित समस्या पैदा हो सकती है।
अगर व्यक्ति मधुमेह का रोगी हो तो उसे उपवास के दौरान थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद कुछ-न- कुछ अवश्य खाते रहना चाहिए अन्यथा शुगर लो होने की समस्या पैदा हो सकती है।
जब उपवास खोलें तो काफी हल्का आहार ग्रहण करें।
क्योंकि उपवास के तुरंत बाद भारी या अधिक भोजन ग्रहण करने से पाचन तंत्र और आंतों पर प्रभाव पड़ सकता है।
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