आपके कौन से अवगुण आपकी उन्नति में बाधक बनते हैं

आपके कौन से अवगुण आपकी उन्नति में बाधक बनते हैं
हर आदमी चाहता है कि वह जीवन में मनचाही उन्नति करे या उसे जिंदगी में सब तरह की सुख-सुविधाएं प्राप्त हों। मगर हर आदमी अपनी यह इच्छा पूरी नहीं कर पाता।
बहुत से लोग कोशिश करके भी पीछे रह जाते हैं और जीवन भर दुखों व कष्टों का सामना करते रहते हैं।
इनमें से कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने भीतर मौजूद अवगुणों के कारण पिछड़ जाते हैं, अथवा जीवन में मनचाही उन्नति नहीं कर पाते हैं।
आपके भीतर मौजूद ये अवगुण दिखने में तो बहुत सामान्य लगते हैं परंतु इनके प्रभाव काफी गंभीर होते हैं, तथा ये आपकी उन्नति या प्रगति में बहुत बाधक बनते हैं।
अगर आप दृढ़ता से इनसे छुटकारा पाने की ठान लें तो आसानी से छुटकारा पा भी सकते हैं।
लेकिन छुटकारा तभी मिलेगा जब आप दृढ़ संकल्प करके इनसे मुक्ति पाने के लिए नियमित रूप से प्रयास करें। आइए, ऐसे कुछ अवगुणों के विषय में जानें।
१) काम के बजाय बातों पर जोर देना
कुछ लोग काम करने के बजाय उसके बारे में बातें करने पर ज्यादा जोर देते हैं।
बातें तो बढ़ा-चढ़ाकर करते हैं पर काम उस हिसाब से या उतना कभी नहीं करते और परिणामस्वरूप अपने काम में पिछड़ जाते हैं।
उतनी उन्नति नहीं कर पाते जितनी उन्नति करने की क्षमता होती है।
इसलिए बातों के बजाय काम करके दिखाने का संकल्प कीजिए।
किसी को यह मत समझाइए कि काम कैसे होता है या कैसे किया जा सकता है, बल्कि उस काम को करके दिखाइए ताकि औरों को आपके काम पर यकीन हो तथा आप काम के बल पर हमेशा आगे बढ़ते जाएं।
२) आराम को काम से ज्यादा महत्व देना
कुछ लोग काम से ज्यादा आराम को महत्व देते हैं और फिर धीरे-धीरे अपने स्वभाव से आरामपरस्त होते चले जाते हैं।
उनके अंदर सुस्ती और आलस जड़ पकड़ लेते हैं और इसी के परिणामस्वरूप वे अपने काम में देरी दिखाने लगते हैं।
अपनी आरामपरस्ती की आदत की वजह से अनेक महत्वपूर्ण कार्य करने से चूक जाते हैं और फिर प्रगति या उन्नति की राह से भटक जाते हैं।
अतः अपने आपको ऐसा बनाने की कोशिश कीजिए कि आपके अंदर सुस्ती और आलस के बजाय सदा नई स्फूर्ति व तंदुरुस्ती का एहसास बना रहे और आप अपना हर काम समय पर पूरा करके उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ते जाएं।
३) दूसरों के अच्छे कामों के प्रति ईर्ष्या भाव
जो दूसरों के अच्छे कामों की खुलकर प्रशंसा करता है तथा उनसे सीख लेकर वैसे ही अच्छे काम करने की हिम्मत दिखाता है, वह जीवन में अवश्य सफल होता है।
दूसरों के अच्छे काम के प्रति ईर्ष्या भाव रखने वाला व्यक्ति कभी अच्छा काम कर ही नहीं पाता, क्योंकि उसका सारा ध्यान तो दूसरों के काम में कमियां ढूंढने में बीत जाता है।
अगर वह अपने काम पर ध्यान दे और अपने काम की कमियां ढूंढकर उन्हें दूर करने का प्रयास करे तो निश्चय ही उसका काम औरों से बेहतर हो जाए।
पर ऐसा वह कभी सोच ही नहीं पाता और फलतः पिछड़ कर रह जाता है। इसीलिए अगर आप भी इस कमजोरी का शिकार हैं तो उसे दूर करने पर पूरा जोर लगा दीजिए।
क्योंकि ऐसा करके ही आप अपने काम या लक्ष्य पर पूरा ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।
४) अपनी क्षमता से ज्यादा काम का लालच
हमेशा याद रखिए कि हर व्यक्ति में काम करने की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है।
कोई ज्यादा काम कर लेता है तो कोई कम।
अगर काम को सही ढंग से तथा समय पर निपटाना है, तो अपने हाथ में उतना ही काम लीजिए जितना कि आप कर सकें।
ज्यादा काम करने के लालच में काम को मत बिगाड़िए। अगर आपका बचा हुआ काम कोई और करे तो उसे करने दीजिए बल्कि उसका सहयोग भी कीजिए और उसका उत्साह भी बढ़ाइए।
ऐसे व्यक्ति के प्रति वैर या ईर्ष्या भाव कभी मत दिखाइए।
अगर आपने खुद को इस काबिल बना लिया तो समझो आपकी उन्नति का मार्ग तय हो गया। आपकी अपनी मेहनत और दूसरों की सहयोग भावना दोनों ही आपकी उन्नति में योगदान देंगी।
५) काम के प्रति समर्पण भाव की कमी
आप जो भी काम करते हैं अगर आपमें उस काम के प्रति समर्पण भाव की कमी है तो उसको बेहतर ढंग से कभी नहीं कर पाते।
आपका मन उसमें पूरी तरह से नहीं लग पाता और इसी कारण अच्छे परिणाम सामने नहीं आ पाते।
ऐसी स्थिति में काम अपने ऊपर बोझ लगने लगता है।
अतः अपने काम को पूरे समर्पित भाव से करने की आदत डालिए।
काम छोटा हो या बड़ा उसके प्रति पूरी तरह से समर्पित हो जाइए और पूरा मन लगाकर कीजिए।
ऐसा करेंगे तो जीवन में सुख और कामयाबी अपने आप चले आएंगे।
६) काम करने से बचने की प्रवृत्ति 
कुछ लोग यह विचार रखते हैं कि घर या कार्यालय में जो मुश्किल या उबाऊ काम हो उसे कोई और कर ले तथा उन्हें केवल उनका मनपसंद या हल्का काम ही मिले।
पर उनकी यह सोच नितांत गलत होती है और साथ ही उनकी उन्नति में बाधक भी क्योंकि ऐसा करके वे अपनी कार्यक्षमता और अनुभव को प्रदर्शन करने से वंचित रह जाते हैं तथा साथी कर्मचारी उनसे आगे निकल जाते हैं।
उनकी कार्यकुशलता पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है।
इसलिए खुद को इस तरह की आदत का कभी शिकार न होने दें।

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