जानिए पचास की उम्र के बाद खुद को कैसे रखें फिट
बढ़ती उम्र को लेकर व्यक्ति कई तरह की शंकाओं से घिर जाता है।
खासतौर पर पचास की उम्र पार करके आदमी अपने अंदर बुढ़ापे के कुछ संकेत महसूस करने लगता है और अपने भावी जीवन के बारे में कई तरह की चिंताएं करने लगता है।
ऐसी चिंताएं लोग इस आधुनिक युग में ही नहीं करते, बल्कि प्राचीन काल में भी लोग इस तरह की चिंताएं की जाती थीं।
इस बात के प्रमाण हमें प्राचीन ग्रंथ ‘चरक संहिता’ में मिलते हैं क्योंकि इसके ‘रसायन’ प्रकरण में वर्णित ‘पंचमहरीतक्यादि’ योग का एक प्रयोजन वृद्धावस्था के भय से मुक्ति भी है।
प्राचीन कालीन च्यवन ऋषि के बारे में तो सभी जानते ही हैं कि उन्होंने अपनी वृद्धावस्था को दूर करने के लिए के लिए एक ऐसे रसायन का प्रयोग किया था जो आज भी च्यवनप्राश के नाम से प्रसिद्ध है।
आज हमारी जीवन-शैली और खान-पान के तरीके इतने अधिक बदल गए हैं कि आदमी पचास के बाद तो क्या चालीस के बाद ही अपने भीतर बुढ़ापे के संकेत महसूस करने लगता है।
मगर फिर भी आदमी चाहे तो बढ़ती उम्र में भी खुद को युवा तथा स्वस्थ एवं नीरोग बना कर रख सकता है। इसके लिए बस उसे कुछ खास बातों को अपनी जीवन-शैली या व्यवहार का हिस्सा बनाना पड़ेगा।
1) खान-पान संबंधित व्यवहार
हमारे खान-पान का हमारी सेहत या स्वास्थ्य से गहरा संबंध होता है। युवावस्था में आपके खान-पान का रवैया भले कुछ रहा हो मगर पचास के बाद बढ़ती उम्र में खाने-पीने को लेकर सचेत हो जाना चाहिए।
हमेशा पौष्टिक आहार लेने की आदत डालें क्योंकि पौष्टिक आहार को नजरअंदाज करना भावी जीवन में घातक बीमारियों को निमंत्रण देना है।इ
सीलिए अपने आहार में ऐसे भोज्य-पदार्थों को सम्मिलित करें जो सूक्ष्म पोषक-तत्वों, फाइबर, प्रोटीन व स्वस्थ वसा से समृद्ध हों।
खाने में कैलोरी, वसा, ट्रांस वसा, सोडियम व शक्कर कम लें, क्योंकि इससे सेहतमंद बने रहने, वज़न कम रखने तथा शारीरिक तौर पर सक्रिय बने रहने में मदद मिलती है।
तरल पदार्थों के सेवन पर भी खास ध्यान देना चाहिए, क्योंकि लोग इस उम्र में डिहाइड्रेशन का शिकार बन जाते हैं जिसके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ते हैं।
जहां तक हो सके फाइबर युक्त खाद्य-पदार्थों को अपने आहार में अधिकाधिक मात्रा में शामिल करें।
फाइबर दो प्रकार के होते हैं- अघुलनशील तथा घुलनशील फाइबर।
अघुलनशील फाइबर पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाकर रखते हैं तथा घुलनशील फाइबर शुगर को नियंत्रित रखते हैं और साथ ही कोलेस्ट्रॉल को कम रखने में सहायक होते हैं। अनाज, अंकुरित अनाज, चावल आदि का सेवन अच्छा रहता है।
डेयरी उत्पादों, मांस तथा तले हुए खाद्य पदार्थों को कम मात्रा में खाएं, क्योंकि ये शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाते हैं। अगर कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ गया हो तो ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त खाद्य-पदार्थों को सेवन करें। इसके लिए मछली तथा जैतून के तेल का सेवन बेहतर रहता है।
2) बुरी आदतों को छोड़ें तथा खुश रहना सीखें
कम उम्र में आदमी कई तरह की ऐसी बुरी आदतें पाल लेता है जो बढ़ती उम्र में स्वास्थ्य से संबंधित कई तरह की समस्याओं का कारण बन जाती हैं।
ऐसी बुरी आदतों में मुख्यतः शराब, धुम्रपान, तंबाकू व अन्य किसी प्रकार के नशे की आदतें हैं। अतः इन्हें समय रहते त्याग देना ही बेहतर है।
बढ़ती उम्र में एकाकीपन या अकेलापन बहुत ही खतरनाक होता है।
यह कई तरह के घातक रोगों का कारण बन सकता है।
इसलिए कोशिश कीजिए कि हमेशा खुश रहें। खुद को खुश रखने के लिए लोगों से मेलजोल बनाकर रखिए और सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लीजिए।
3) पूरी नींद और पर्याप्त आराम
बढ़ती उम्र में सेहतमंद एवं क्रियाशील बने रहने के लिए पूरी नींद और पर्याप्त आराम लेना भी बहुत जरूरी है। पूरी नींद लेने से मन को प्रसन्नता और मस्तिष्क को ताजगी व स्फूर्ति मिलती है।
साथ ही चिड़चिड़ाहट से छुटकारा भी मिलता है। मन-मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ती है और शारीरिक सक्रियता में सुधार आता है।
इसके अलावा प्रतिरक्षा प्रणाली में भी सुधार आता है।
4) शारीरिक व्यायाम और भ्रमण
उम्र और शारीरिक शक्ति को ध्यान में रखते हुए अपने लिए उपयुक्त व्यायाम चुनें तथा उन्हें नियमित रूप से करें।
शारीरिक व्यायाम कई तरह के लाभ पहुंचाते हैं।
व्यायाम से रक्तचाप, मधुमेह, लिपिड प्रोफाइल, हड्डियों के स्वास्थ्य तथा मस्तिष्क के कार्यों में अपेक्षित सुधार आता है।
साथ ही तनाव से राहत भी मिलती है। खाना-पीना ढंग से पचता है तथा शरीर में लगता है। इसी कारण अच्छी सेहत बनती है।
कुछ योगासन ऐसे भी हैं जिन्हें हर उम्र का व्यक्ति करके स्वास्थ्य संबंधी लाभ उठा सकता है।
अतः खुद को स्वस्थ या सेहतमंद बनाए रखने के लिए योगासनों का सहारा भी लिया जा सकता है।
इसके अलावा सुबह-शाम भ्रमण करना या फिर साइकिल चलाना भी व्यक्ति को काफी लाभ पहुंचाता है तथा उसे स्वस्थ, नीरोग तथा मजबूत बनाए रखता है।
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