चीनी को बहुत ही कम मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है, जानिए क्यों

चीनी को बहुत ही कम मात्रा में खाने की सलाह दी जाती है

चीनी ऐसा नाम नहीं है जिससे कोई परिचित न हो अथवा कोई इसके स्वाद से वाकिफ न हो।

बड़ों से लेकर बच्चे तक चीनी के बारे में जानते हैं तथा हर दिन किसी-न-किसी रूप में चीनी का सेवन भी करते हैं।

हम उस सफेद दानेदार चीनी की बात कर रहे हैं जिसे चीनी मील या शुगर मील में गन्ने के रस से तैयार किया जाता है। इसे एक मीठे पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जाता है।

यह सफेद दानेदार चीनी वैज्ञानिक तकनीक विकास की देन है।

इस वैज्ञानिक तकनीक से पहले भी लोग मीठे या शर्करायुक्त पदार्थों यानी देशी गुड़, शक्कर आदि का प्रयोग करते थे।

मगर जब से यह सफेद दानेदार चीनी प्रचलन में आई तो उच्च सभ्य समाज के लोगों की पहचान बन गई और गुड़, शीरा आदि गरीब तबके की पहचान बनकर रह गए।

उसके बाद धीरे-धीरे यह समाज के हर वर्ग में समान्य उपभोग की वस्तु बनकर रह गयी और आज यह स्थिति है कि चीनी का प्रयोग प्रत्येक घर में खुलकर होता है।

आपको एक बात बता दें कि जब लोग चीनी की जगह गुड़ आदि का प्रयोग करते थे तो दीर्घजीवन जीते थे और अपने जीवन के अंतिम दिनों तक कार्यक्षम बने रहते थे।

मगर जब से सफेद चीनी के उपभोग का प्रचलन बढ़ा है अनेक तरह के शारीरिक रोगों जैसे कि मधुमेह आदि ने समय से पहले ही शिकार बनाना शुरू कर दिया है।

चीनी के उपभोग के फायदे तो बहुत कम हैं मगर इसके नुकसान बहुत अधिक हैं।

चीनी खाने के ये फायदे भी तब मिलते हैं जब इसे काफ़ी सीमित मात्रा में खाया जाता है।

आइए, जाने चीनी के बारे में विस्तार से…

1) चीनी ऊर्जा का उत्कृष्ट रूप मानी जाती है। इसे खाते ही यह ग्लूकोज में बदल जाती है तथा कोशिकाओं द्वारा अवशोषित कर ली जाती है। फिर ऊर्जा उत्पादन में मदद करती है। इसीलिए चीनी को तत्काल ऊर्जा का बेहतर विकल्प माना जाता है।

2) कम रक्तचाप से ग्रस्त व्यक्ति के लिए फायदेमंद होती है, क्योंकि इसके खाने से रक्तचाप बढ़ जाता है। अतः लो बी पी वाले लोग इसका सेवन कुछ मात्रा में कर सकते हैं।

3) हमारा दिमाग बिना शुगर के काम नहीं कर सकता। जब दिमाग में शुगर की सप्लाई बंद हो जाती है तो ब्लैक आउट की स्थिति (होश खोने जैसी स्थिति) पैदा हो जाती है। ऐसे में दिमाग को सक्रिय रखने के लिए शुगर यानी चीनी की आवश्यकता होती है।

4) शायद आपको पता न हो पर छोटी-मोटी चोट में चीनी लगाना फायदेमंद होता है।

चीनी त्वचा के लिए अच्छा स्क्रब भी है। यह त्वचा की डेड सेल्स को सौम्यता से हटाकर चमक पैदा करती है।

आइए अब चीनी के सेवन से होने वाले कुछ नुकसानों के बारे में जानें।

5) चीनी में प्रोटीन, विटामिन,खनिज आदि को भी पोषक तत्व मौजूद नहीं पाया जाता है। इसीलिए सेहत बनाने के नाम पर चीनी का महत्व शून्य है तथा इसका सेवन मात्र स्वाद के लिए ही किया जाता है।

6) शरीर में शक्कर कम मात्रा में उपस्थित हो तो लीवर उसे ग्लाइकोजेन में बदलकर खुद के पास जमा कर लेता है ताकि जरूरत पड़ने पर काम आ सके। मगर लीवर में यह पहले से ही पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो तो लीवर अधिक फ्रुक्टोस को फैट के रूप में बदल देता है जिसकी कुछ मात्रा LDL नामक हानिकारक फैट के रूप में रक्त में चली जाती है जो ह्रदय रोग का कारण बन सकती है।

जबकि कुछ मात्रा लीवर में जमा हो जाती है जो फैटी लीवर जैसी समस्या का कारण बनती है। ये दोनों ही स्थिति हानिकारक हैं।

लंदन मेडिकल काॅलेज के प्रसिद्ध ह्रदयरोग विशेषज्ञ डाॅ.लुईकिन अधिकांश ह्रदय रोग के लिए शक्कर को उत्तरदायी मानते हैं।

7) अधिक मात्रा में चीनी का सेवन करने से इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है जिस कारण मोटापा तथा डायबिटिज का खतरा बढ़ जाता है। रक्त में ज्यादा मात्रा में शक्कर होने से कोशिका में इंसुलिन का प्रतिरोध पैदा हो जाता है।

इसके कारण पैंक्रियास अधिक मात्रा में इंसुलिन बनाना शुरू करता है और लगातार ऐसा करने से उसमें पहले की तरह इंसुलिन बनाने की क्षमता नहीं रह पाती है।

यह काफी कम हो जाती है।

8) कैंसर जैसा घातक रोग कोशिका की अनियंत्रित वृद्धि का परिणाम होता है।

इस वृद्धि के नियंत्रण में इंसुलिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

वैज्ञानिकों के मुताबिक़ चीनी के अधिक मात्रा में सेवन से इंसुलिन पर बुरा असर पड़ता है तथा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

इसके अलावा चीनी नशीली चीजों की तरह दिमाग में डोपामाइन नामक हार्मोन का स्राव हानिकारक स्तर तक बढ़ा सकती है।

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