खुद की देखभाल करने के चार सटीक तरीके (4 ways to practice self care in Hindi)
खुद की केयर करने से हमारा शरीर और मस्तिष्क भी हैल्थी रहता है। आजकल की लाइफस्टाइल में अगर हम खुद की केयर नहीं करेंगे तो, ना ही हम अपना काम सही से कर सकेंगे और ना ही हम खुद को हैल्थी रख सकेंगे।
इसलिए यदि आपके पास कई जिम्मेदारियां हैं, जैसे स्कूल जाना, तनावपूर्ण नौकरी पर काम करना, या किसी प्रियजन की देखभाल करना। तो आप एक समय के बाद ना खुद की केयर कर पाएंगे ना किसी और की, इसलिए पहले खुद की केयर करना सीखे तभी आप अपनों की भी केयर और उनकी जिम्मेदारियों अच्छे से निभा पाएंगी।
आज इस आर्टिकल में हम आपको कुछ “सेल्फ केयर” से रिलेटेड टिप्स देंगे जो अपके लिए काफी फायदेमंद रहेंगे
१. फिजिकल केयर करना (To care yourself physically)
A. नियमित व्यायाम करना ( Do regular exercise)
नियम बना लें कि रोज़ आपको कम से कम 30 मिनट व्यायाम ज़रूर करना है और व्यायाम अपनी मर्ज़ी से ऐसा चुने जिसे करने में आपको मजा आए, आप टाले नहीं।
जैसे कि – स्ट्रेचिंग करना, योगा करना, डांस करना, स्किपकिंग करना इत्यादि।
B. हैल्थी और बैलेंस डाइट लेना (Eat healthy food and take balanced diet )
हैल्थी खाना खाने से आप का शरीर और मस्तिष्क दोनों ही हैल्थी रहेंगे और आप काफी एनर्जेटिक भी महसूस करेंगे क्योंकि हैल्थी फूड्स हमारी इम्यूनिटी भी स्ट्रॉन्ग करता है।
इसलिए अपने खाने में हरी सब्जियां, ताज़े फल, स्प्राउट्स, दाले, दूध जैसे पौष्टिक खाने को शामिल करें।
C. अच्छी नींद लेना (Take proper sleep)
हैल्थी रहने का तीसरा और सबसे ज़रूरी मूल मंत्र है अच्छी नींद। अकसर लोग जिम्मेदारियों और स्ट्रेस कि वजह से नींद को इग्नोर करते है। लंबे समय तक अगर आप अपनी नींद से कंप्रोमाइज करते रहेंगे तो आपको काफी बीमारियो से झूजना पड़ सकता है जैसे डिप्रेशन, anxiety, हाइपरटेंशन इत्यादि।
D. अपनी हैल्थ पर नजर रखें (keep check on your physical health)
अपनी बॉडी का रेगुलर इंटरवल में चेकप करवाए और अगर कोई भी दिक्कत है तो उसे सीरियसली ले।
E. ज़िन्दगी को एन्जॉय करें (Enjoy your life)
ज़िम्मेदारियां तो हम सबके जीवन का एक पार्ट है जिसे सभी लोग पूरा कर रहे है लेकिन हमें ज़िंदगी को जीना और उसे एंज्वॉय भी करना चाहिए। अगर हम कभी कभी खुद के लिए कुछ समय निकाल कर अपनी लाइफ एंज्वॉय करेंगे तो हमारा शरीर, मस्तिष्क और हमारी लाइफ तीनों ही संतुलित और हैल्थी रहेगी और हम ज़्यादा एनर्जेटिक एंड एक्टिव फील करेंगे।
लाइफ एन्जॉय करने के लिए आप बाहर कहीं घूमने निकल सकते हैं, मूवी देख सकते है, शॉपिंग कर सकते है।
F. अपने पार्टनर के साथ टाइम स्पेंड करें (Spend time with your partner)
अक्सर हम काम और जिम्मेदारियों में इतना उलझ कर रह जाते है कि हमें ये तक याद नहीं रहता कि आखरी बार अपने पार्टनर के साथ हमने क्वालिटी टाइम कब बिताया था।
इमोशनल और मेंटल स्ट्रेस को दूर रखने में सबसे ज़्यादा अगर किसी का इनपुट होता है हमारी लाइफ में तो वो है हमारा पार्टनर, हमारे बच्चे या जो भी जिनसे आप बेहद अटैचेड हो। इसलिए अपने प्रियजनो के साथ अच्छा टाइम स्पेंड करना एक हैल्थी लाइफ के लिए काफी ज़रूरी है।
2. इमोशनल केयर करना ( To care yourself emotionally)
A. तनाव कंट्रोल करना ( To control stress)
तनाव दूर करने के लिए योगा, मेडिटेशन, रिलैक्सिंग तकनीकें, हॉट वॉटर, फुट मसाज इत्यादि अपनाइए जिससे कि आप तनाव मुक्त हो सके।
B. अच्छे और सपोर्टिव लोगो की कंपनी में रहिए (Be in company of good and supportive people)
उन लोगो के साथ टाइम स्पेंड कीजिए जो आपको अच्छा फील कराए, कॉन्फिडेंट फील कराए और जिनसे आप कुछ ना कुछ अच्छा सीखे।
- नेगेटिव अप्रोच और आपको डी मोटिवेट करने वाले लोगो से दूर रहे। ऐसे लोग स्ट्रेस और बीमारियां दोनों ही बढ़ाते है ।
C. जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग लेना (To take counseling if needed)
ये एक मिथ है कि काउंसलिंग की जरूरत केवल दिमागी बीमार लोगो या फिर पागल लोगो के लिए हो होता है। ऐसा बिलकुल भी नहीं है।
काउंसलिंग की जरूरत कभी भी किसी को भी पड़ सकती है और जब भी आप बेहद लो फील कर रहे हो या किसी बात का आप पर गहरा असर पड़ रहा हो, तो काउंसलिंग लेना एक बुद्धिमानी का काम है।
काउंसलिंग से एक सेकंड ओपिनियन आपको मिलेगा आपकी प्रॉब्लम का जिसके बाद अब ठीक दिशा में डिसीजन ले सकेंगे।
D. खुद को हमेशा प्रोत्साहित करना (To encourage yourself always)
जब भी आप कोई काम करे तो हमेशा खुद को प्रोत्साहित करें। इससे आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस डेवलप होगा और आप हमेशा पॉज़िटिव अप्रोच रखेंगे।
जैसे “मै ये कर सकती हूं, या कर सकता हूं, मुझे खुद पर भरोसा है, मै अपना बेस्ट दे रही हूं या दे रहा हूं, मै ये कर लूंगी या मैं यह कर लूंगा”।
ऐसी बाते खुद के विचारों में शामिल करने से सफलता मिलने के चांसेज बढ़ जाएंगे और स्ट्रेस से मुक्ति भी मिलेगी।
3. प्रोफेशनल सेल्फ केयर अपनाना (To adapt professional health care)
A. खुद का वर्क प्लेस आरामदायक बनाना (To make your workplace cozy and comfortable)
हम जहा काम करते है उस जगह में ही हम ऑफिस का ज़्यादा से ज़्यादा टाइम बिताते है इसलिए उस एरिया को साफ, शांतिपूर्वक और मोटिवेट बनाने से हमे काम करने में और अच्छा फील होगा और हम स्ट्रेस फ्री होकर प्रोडक्टिव थॉट्स डेवलप कर सकेंगे।
B. ब्रेक लेना ( To take breaks)
पूरे टाइम एक ही पोजिशन में बैठें-बैठे शरीर और दिमाग दोनों अकड़ जाते है। इसलिए ध्यान रखे कि कुछ टाइम के बाद आप हलकी फुल्की स्ट्रेचिंग कर ले, कलीग से बात करे, कुछ खा ले आदि, जिससे आप बोर या स्ट्रेस फील ना करे।
C. प्रोफेशनल काम पर्सनल एरिया में ना लाना( Do not bring professional work in personal area)
अपने ऑफिस का काम वही के लिए रखिए उसे घर में ना लाएं। ऑफिस का काम ऑफिस के टाइम पीरियड के साथ ऑफिस में ही छोड़ कर आना चाहिए। उसे घर तक लाने से स्ट्रेस लेवल बढ़ता है।
4. खुद की केयर की अप्रोच में सुधार करना ( To improve your approach to care yourself)
A. खुद की जरूरतों को प्राथमिकता देना (To give priority to your needs)
जब आप खुद खुश रहेंगे तभी आप दूसरों को भी खुश रख सकेंगे। ये कोई स्वार्थ नहीं है। इसीलिए अपनी लाइफ स्ट्रेस फ्री रखने के लिए खुद की जरूरतों को समझे और उनको पूरा करें।
B. जरूरत के समय मदद मांगना ( To ask help if needed)
जब भी कभी आपको लगे कि आप किसी सिट्यूएशन को अकेले हैंडल नहीं कर पा रहे हो तो अपने मित्रो, रिश्तेदारों या जिनसे आप जुड़े हो उनकी मदद लें। मदद लेने से आपकी प्रोब्लेम्स कम होंगी और एक सही गाइडेंस मिलेगा।
C. “ना” कहना सीखे और लिमिट सेट करें (Learn to say “no” and set limits)
ऐसा कोई इंसान नहीं है जो सबको खुश कर सके। सबको खुश करने के चक्कर में खुद को दुखी कर लो, ये बिलकुल गलत है। इसलिए “ना” कहना सीखे और अपनी लिमिट सेट कर के रखे, जिससे दूसरों को अपके दायरे का पता चल सके और समझ सके कि किन चीज़ों के लिए आपको अप्रोच करना चाहिए और किन चीज़ों के लिए नहीं।
D. समय की कीमत समझना (To value time)
कहावत ही है “तुम समय कि कीमत नहीं करोगे तो समय तुम्हारी इज्जत नहीं करेगा”। समय पर अपने काम करने से स्ट्रेस नहीं होता कभी और आपका काम भी अच्छे से एक्जिक्यूट होता है।
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