सही समय पर पिए गए कुछ कड़वे घूंट, अकसर जिंदगी की मिठास को बढ़ा देते है!

सही समय पर पिए गए कुछ कड़वे घूंट अकसर जिंदगी की मिठास को बढ़ा देते है!

आज जिंदगी में कामयाबी के लिए कदम-कदम पर अनेक परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है, और इस परीक्षा में वही सफल होता है जो जिंदगी अपनी शर्तों पर जीता है।

जिंदगी उसी की सफल है जिसने बदलते समय के साथ एक सफल जिंदगी जीने के बदलते नियमों को अपना लिया है।

कुछ कड़वे नियम जो जिंदगी में कामयाबी के लिए जरुर अपनाने चाहिए।

१) स्वार्थी और मतलबी रिश्तों से दूरी (Keep Distance from selfish people)

रिश्ते चाहे कम हो, पर जितने हो सच्चे हो।

चाहे खून के हो या दिलों के हो।।

हर इंसान इस दुनिया में हजारों रिश्ते निभाता है। कुछ रिश्ते जन्म से जुड़े होते है जैसे माता-पिता, भाई-बहन आदि। कुछ रिश्ते दिल से जुड़ते है जैसे दोस्ती और प्यार का रिश्ता।

रिश्ते सिर्फ जुड़े है केवल इसलिए नहीं निभाने चाहिए बल्कि ऐसे रिश्तो को निभाना चाहिए जो आपके साथ दिल से जुड़े हो।

ऐसे लोगों का साथ उसी समय छोड़ देना चाहिए जब आपको लगे कि वह सिर्फ अपने मतलब के लिए आप से रिश्ता निभा रहे है। मतलबी लोगों की भीड़ से ज्यादा चार सच्चे लोगों से रिश्ता अच्छा।

मतलबी और स्वार्थी लोग कभी किसी के सगे नहीं होते। अपना मतलब निकलने पर ये लोग ऐसे नजरें फेर लेते हैं जैसे कोई दूध से मक्खी निकाल कर फेंक देता है।

ऐसे लोग आपके साथ केवल तभी खड़े होंगे जब इन्हें आपकी जरूरत होगी ना कि तब जब आपको इनकी जरूरत होगी।

मुश्किल समय कि यहीं सबसे अच्छी बात होती है कि, आपके सच्चे रिश्तों और मतलबी रिश्तों के बीच पहचान करा देती है।

पहले हम मानते थे कि अगर मतलबी लोगों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाए तो कभी ना कभी वो भी बदलकर अच्छाई के रास्ते पर चल ही पड़ेंगे। लेकिन अब समय बदल गया है लोग रिश्तो में स्वार्थ ज्यादा और रिश्ता कम देखते है।

इसलिए मतलबी और स्वार्थी लोगों से बदलने की उम्मीद को छोड़कर, ऐसे लोगों का साथ ही छोड़ देना चाहिए।

२) आईना बनिए और लोगों को आईना दिखाइए (Be like a mirror)

अच्छे के साथ अच्छा, बुरे के साथ बुरा, जग का दस्तूर हुआ।

गांधी जी का समय गया, कि कोई एक थप्पड़ मारे, तो दूसरा गाल आगे कर दिया।

आज सबके साथ दयालु होने की जरूरत नहीं है। अच्छे के साथ अच्छा बनिए और बुरे के साथ बुरा।

खुद को वही खर्च कीजिए जहां उसकी कीमत हो। बुरा व्यक्ति कभी आपकी अच्छाई पहचान ही नहीं पाएगा और आपकी अच्छाई आपकी ही बेवकूफी साबित होगी।

व्यावहारिकता का जमाना है, तो व्यावहारिक बनिए, वरना कब लोग आपको कमजोर समझने लगेंगे आपको पता भी नहीं लगेगा।

याद रखिए लोग उसी को सुनाते हैं जो सुनता है। जहां पलट कर जवाब मिलने की उम्मीद हो वहां कभी कोई ज्यादा बोलने की हिम्मत नहीं करता।

आईना बनकर लोगो को असलियत दिखाइए, चिंता वो लोग करेंगे जिनकी शक्लें खराब है। किसी से इतना मोह भी मत कीजिए कि उसकी बुराइयों को देख ही ना पाए।

दुर्घटना से सावधानी अच्छी। समय रहते समझ जाइए वरना कब लोग आपकी अच्छाई का फायदा उठा लेंगे आपको पता भी नहीं लगेगा।

कमियां सहन की जा सकती है लेकिन बुराइयां नहीं। क्योंकि कमियों को सुधारा जा सकता है लेकिन बुराइयों का कोई अंत नहीं होता।

कभी कहा जाता था ‘नेकी कर दरिया में डाल’ लेकिन आज वो दरिया ऐसा अथाह समुंद्र बन गया है जिसका कोई ओर-छोर ही नहीं है।

३) इज्जत कमाइए, आकर्षण नही (Seek respect, not attention)

इज्जत कमाई जाती है, इज्जत सराही जाती है।

अपने साथ ढेरों दुआएं, और आशीर्वाद लाती है।

पीढ़ी दर पीढ़ी, नाम रोशन कर जाती है।।

आप बस काबिल बनिए, कामयाबी अपने आप मिल जाएगी। आप बस इज्जत कमाइए, लोग आकर्षित अपने आप हो जाएंगे।

आकर्षण कुछ पलों का होता है, इज्जत उम्र भर की होती है। आकर्षण उन बुलबुलों की तरह होता है जो एक बार तो बहुत बड़ा फूलते हैं लेकिन पल भर में ही गायब हो जाते है।

इज्जत, आपकी वो कमाई है जो मरने के बाद भी आपका साथ देती है। जो बड़ी मुश्किल से मिलती है लेकिन अगर एक बार कमा ली जाए तो पीढ़ियों तक आपका नाम रोशन कर देती है।

जितनी इज्जत आप दूसरों को दोगे, उसे कहीं ज्यादा इज्जत बदले में पाओगे। कोई साथ हो ना हो पर अपनी इज्जत अपने साथ जरूर होनी चाहिए।

पैसा चाहे कितना भी कमा लिया जाए पर अगर इज्जत नहीं कमाई तो गरीब ही कहलाओगे।

एक दौर था जब अपनी इज्जत के लिए लोग अपनी जान दे देते थे लेकिन आज इसका कोई मोल ही नहीं रह गया है। आज लोग पैसा कमाने के लिए कब अपनी इज्जत बेच देते है उन्हें खुद भी पता नहीं लगता।

इज्जत की उम्मीद हमेशा इज्जतदार लोगों से ही करनी चाहिए। जिन्होंने खुद इसका स्वाद नहीं चखा वो इसका मोल क्या समझेंगे।

दौलत और शोहरत तो आती जाती रहती है, लेकिन इज्जत अगर एक बार चली जाए, तो लौट कर नहीं आती है।

जिंदगी तो हर कोई जीता है लेकिन लोग उसी को याद रखते हैं जो इसे शान से जीता है अगर इन तीनों नियमों को अपने जीवन में लागू कर लिया जाए तो किसी में भी आपकी तरफ आंख उठाकर देखने की हिम्मत भी नहीं होगी।

दुनिया में आए हैं तो कोई मुकाम हासिल कीजिए,

लाखों की भीड़ में, अपना भी नाम कीजिए।

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