युपी बिहार में इतनी गरीबी क्यों है | Why UP and Bihar so poor in Hindi
जिस तरीके से आप किसी भी एग्जाम को तभी पास कर सकते हैं जब आपके पास सभी सब्जेक्ट का नॉलेज होता है, ठीक उसी तरह से कोई भी देश तभी तरक्की करता है जब उसके सभी राज्य समृद्ध हो।
जैसा कि आप जानते होंगे कि हमारे भारत के 2 बड़े राज्य उत्तर प्रदेश एवं बिहार हैं। यह दोनों राज्य भारत में काफी जाने-माने राज्य हैं साथ ही इन राज्यों में काफी गरीब जनसंख्या निवास करती है जिससे यह राज्य गरीब कहलाने लगे।
आपको बता दें कि यूपी और बिहार में देश की 35 करोड से भी ज्यादा जनसंख्या निवास करती है इसलिए अब आप समझ ही गए होंगे कि देश की तरक्की में इन राज्यों का कितना ज्यादा योगदान होता है। अगर यूपी और बिहार राज गरीबी से मुक्त हो गए तो भारत देश की तरक्की और बेहतर होगी।
यूपी और बिहार दोनों राज्य पहले काफी समृद्ध थे लेकिन बाद में यह राज्य पिछड़ गए। यूपी और बिहार में गरीबी के कारण आपको इस आर्टिकल में बताए गए हैं।
यूपी और बिहार की गरीबी का कारण समझने के लिए हमें यह समझना होगा कि यह दोनों राज्य इतिहास में कैसे थे? साथ ही आपको इस पोस्ट में यह जानने को मिलेगा कि अंग्रेजों के समय इन राज्यों की क्या स्थिति थी?
तो चलिए आपको यूपी और बिहार की गरीबी के कारण बताते हैं।
यूपी और बिहार की गरीबी के कारण
आपको बता दें कि यूपी और बिहार की गरीबी की शुरुआत सन 1793 से शुरू हो गई थी। इसके बाद लगातार इन दोनों राज्यों में गरीबी पैर पसारती चली गई।
तो चलिए हम आपको बताते हैं कि यूपी और बिहार की गरीबी के क्या कारण थे?
पहला कारण
यूपी और बिहार राज्य की गरीबी का सबसे बड़ा कारण यहां के किसानों से लगान वसूली था। 1793 से पहले यूपी बिहार देश के अन्य राज्यों के समान ही थे लेकिन फिर 1793 के बाद से यूपी एवं बिहार में गरीबी छा गई।
सन 1793 में कार्नवालिस के द्वारा Parliament Settlement act लागू किया गया था। आपको बता दें कि यह एक्ट पूरे देश में लागू ना होकर केवल यूपी व बिहार में ही लागू हुआ था। इस एक्ट के लागू होने से पहले इन राज्यों में जिन राजाओं का शासन होता था उनके द्वारा फसल की उपज के आधार पर ही लगान वसूला जाता था।
लेकिन ब्रिटिश सरकार द्वारा इस एक्ट के लागू होने के बाद एक लगान को फैक्स कर दिया गया। अब किसान को फसल की कम उपज होने पर भी एक फिक्स लगान देना होता था। जिससे यहां के किसानों की हालत बिगड़ चुकी थी।
ब्रिटिश सरकार अपने जमींदारों के माध्यम से किसानों से लगान वसूलती थी।
और जब फसल की उपज कम होने पर किसान लगान देने में असमर्थ होते थे तो जमीदार उनकी ज़मीन हड़प लेते थे जिससे कई किसान बर्बाद हो चुके थे।
1947 में देश आजाद होने के बाद इस एक्ट को समाप्त कर दिया गया था।
दूसरा कारण
यूपी और बिहार के किसानों की गरीबी का दूसरा बड़ा कारण खेती के लिए आवश्यक टेक्नोलॉजी का ना होना , खेती करने के लिए कम जमीन का होना तथा बिजली की समस्या आदि था।
यहां के किसानों के पास खेती से संबंधित आवश्यक टेक्नोलॉजी की कमी पाई गई जिससे उनकी फसल की उपज ज्यादा नहीं बढ़ पाई।
साथ ही यहां के गांव के किसान अपनी फसल को शहर नहीं ले जा पाए जिससे उन्हें अपनी फसल का सही दाम नहीं मिल पाया।
यूपी में खेती के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जमीन केवल 60% तथा बिहार में खेती के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जमीन केवल 50% ही थी।
तीसरा कारण
यूपी और बिहार की किसानों की गरीबी का तीसरा बड़ा कारण Freight equalization policy भी था।
दरअसल बिहार में खनिज संपदा भरपूर मात्रा में थी जबकि उस समय सरकार द्वारा ट्रांसपोर्ट पर सब्सिडी दी जाती थी जिससे जिन कंपनियों को यहां आकर निवेश करना था अब वे कंपनियां अपने स्थान से ही ट्रांसपोर्ट के माध्यम से अपना व्यापार चलाती रही।
इन राज्यों में कंपनियां स्थापित ना होने से रोजगार का अवसर भी खत्म हो गया। हालांकि बाद में सन 1951 मैं इस पॉलिसी को बंद कर दिया गया था।
ये कुछ ऐसे कारण थे जिनसे यूपी कर बिहार में गरीबी बढ़ती गयी।
दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपको यूपी और बिहार की गरीबी के कारण बताएं। इन कारणों की वजह से यह दोनों राज्य गरीबी से ऊपर नहीं उठ पाए।
आप अपना मत इस बारे में कमेंट में जरूर बताइए और पोस्ट में किसी भी प्रकार की त्रुटि या सुझाव के लिए कमेंट कीजिए।
तो अलविदा दोस्तों, आने वाली पोस्ट में इसी तरह की किसी केस स्टडी के साथ आपसे मिलते हैं।
Image Credit – YouTube
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