नारी शक्ति

क्या मैं नारी शक्ति हूं

उड़ना चाहती हूं तो जाल में फंसा देते हैं

भागना चाहती हूं तो जंजीरों में बांध देते हैं

बोलना चाहती हूं तो होंठ सी देते हैं

कहीं अपना भविष्य देखना चाहती हूं, तो अंधेरे में धकेल देते हैं

क्या मैं नारी शक्ति हूं

मन की पीड़ा लिखना चाहती हूं, तो कलम तोड़ देते हैं

मैं अपने सौंदर्य को लेकर जाऊं, तो जाऊं कहां

घर और घर से बाहर

बेबस लाचार सी नजर आती हूं

क्या मैं नारी शक्ति हूं

मनाचेTalks हिंदी

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