शहर में रह कर भी शुद्ध हवा और ताजी सब्जियाँ ले रहे मंजूनाथ

कुछ चीजें हमारे दिल में घर कर जाती हैं जिन्हें हम पाने का भरपूर प्रयास करते हैं ऐसा ही कुछ हुआ बेंगलूरू के रहने वाले मंजूनाथ के साथ।

हुआ यह कि मंजूनाथ ने बेंगलूर में एक घर देखा था जो लाल रंग की ईंटों से बना था जो बिल्कुल मिट्टी के बने घर जैसा लग रहा था।

वह घर हर तरफ से पेड़-पौधों से घिरा हुआ था,घर मे बहुत बड़ी खिड़कियाँ थी जो देखने में ऐसा लग रहा था जैसे 100 साल पुराना हो।

यह घर देखकर मंजूनाथ के मन में यह चीज घर कर गई कि एक दिन ऐसा घर जरूर बनाना है जो सबसे अलग हो प्रकृति के करीब भी हो।

अपने इस सपने को पूरा करने मंजूनाथ ने बहुत मेहनत की और आज की वर्षो की कड़ी मेहनत के बाद उनका यह सपना पूरा हो गया।

उनका सपनों का घर आज सोलर पावर से ही चलता है। अपने घर की हर जरूरत के लिए वे हर साल हजारों लीटर पानी का स्टाॅक कर लेते हैं।

रसोई से या घर की सफाई से जो भी कूड़ा-कचरा निकलता है उसे खाद बनाने में इस्तेमाल करते हैं।

खाने के लिए सब्जियों के लिए भी वे बाजार नहीं जाते बल्कि अपने घर के गार्डन में हर तरह की सब्जी तैयार कर लेते हैं।

मंजूनाथ ने बताया है कि उनका यह मकान 2007 में बना था। घर के इंटीरियर डिजायन करने में उनकी पत्नी ने अहम योगदान दिया था।

मंजूनाथ आगे कहते हैं कि हम कितने असहाय हैं बिजली और पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी दूसरों पर निर्भर हैं।

हम चाहें तो खुद भी इनको पूरा कर सकते हैं। अब हमें चाहिए कि हमें खुद आगे आकर पर्यावरण को बचाने की मुहिम छेड़नी होगी।

चाहे जितनी हो गर्मी लेकिन घर ठण्डा ही रहता है

मंजूनाथ कहते हैं कि हमने अपने घर में क्रास वेंटीलेशन का इस्तेमाल किया है जिससे हमारे घर का तापमान ज्यादा नहीं रहता हैं।

घर का तापमान बाहर के तापमान से 2-3 डिग्री कम रहता है।

घर की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए मंजूनाथ ने अपने घर की छत पर सौर ऊर्जा पैनल भी लगवाए हैं ।

उनकी इस मुहिम मे स्थानीय प्रशासन ने भी उनका बहुत सहयोग किया है।

सौर पैनल से कमाई अब हजारों-हजार मे

मंजूनाथ ने बताया कि उनके घर में 10 किलोवाट के सौर पैनल लगे हुए हैं और इनकी मदद से लगभग 1000 यूनिट ऊर्जा का निर्माण होता है और उनके घर की खपत है मात्र 250 यूनिट।

बची हुई ऊर्जा को वे राज्य सरकार को 9 रूपये प्रति यूनिट के हिसाब से बेच देते हैं और राज्य सरकार समय से उनका हिसाब करती है जो लगभग 70 हजार रूपए प्रति माह बैठता है।

मंजूनाथ का यह कांट्रैक्ट 25 साल तक के लिए है। पूरी सौर पैनल लगाने लगाने की लागत लगभग 10 लाख रूपये है।

मंजूनाथ आगे बताते हैं कि हालांकि इसमे पैसा लगाना बहुत बड़ा निवेश है लेकिन यह पूरी रिटर्न देगा इसकी पूरी गारंटी है।

बरसात के पानी का संरक्षण

बारिश के पानी को इकठ्ठा करने के लिए उन्होंने खास इंतजाम किये हैं।

ढलान वाली जगह में उनका मकान होने के कारण वे एक गड्ढे में पानी इकठ्ठा कर लेते हैं जो साल भर पेड़-पौधों में लगाने के लिए पर्याप्त हो जाता है।

जैविक खाद से ही जैविक सब्जियों का उत्पादन

मंजूनाथ बताते हैं वे अपने घर मे दो तरह के डिब्बे रखते हैं।

एक डिब्बे में वो कूड़ा रखते हैं जो खाद के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और एक डिब्बे में वह कूड़ा रखा जाता है जिससे वे जैविक खाद बना सकें और उसी खाद की मदद से वे जैविक सब्जियाँ बना लेते हैं।

मंजूनाथ और उनकी पत्नी भले ही शहरी परिवेश में रह रहे हैं लेकिन उनका यह अंदाज उन्हें औरों से अलग करता है।

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