मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकलने के नौ मैजिकल मंत्राज्

मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए

यदि आप जीवन में चेतना खो देते हैं और हर जगह अंधेरा दिखाई देने लगता है, तो इस लेख में वर्णित जीवन शैली चुनें।

अपने आप से एक बार पूछकर देखे कि क्या आप इसमें वर्णित नौ सूत्रों का पालन करके जीवन में ऊर्जा ला सकते है?

समस्या जो भी हो… रिश्ते, लेन-देन, वित्तीय कठीनाईयाँ, या इस कोरोना संकट से थमी हुई ज़िन्दगी…..

हर तरफ हताश, निराशाजनक घटनाएँ हो रही हो तो, बंदा या बंदी पूरी तरह से असहाय हो जाते है..!!

इस तरह की बात हर किसी के जीवन में किसी न किसी बिंदु पर होती ही है।

ऐसे वक्त पे, वर्तमान समय को देखते हुए, यह अनुमान लगाना संभव नहीं होता है कि भविष्य में जीवन कैसा होगा।

ऐसी स्थिति में एक व्यक्ति को क्या करना चाहिए..?

क्या परेशान होना चाहिए? निराश होना चाहिए? रोते रहना चाहिए.. ??

यदि जीवन में छोटी-छोटी बुरी चीजें होती हैं, तो निश्चित रूप से एक व्यक्ति निराश, परेशान या दुखी रहता है।

किसी व्यक्ति का क्या होगा यदि उसका स्वास्थ्य, नौकरी की विफलता, रिश्ते की समस्याएं, वित्तीय समस्याएं और यहां तक ​​कि बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करना असंभव हो जाए….

वह जीवन से ऊब जाता है.. वह खुद को सभी चिंताओं से समाप्त करने की कोशिश करता है।

अंधेरे की खाई में ढ़लता जाता हैं। और आत्महत्या करने की कोशिश करता है।

कारण वह एक ऐसी अवस्था में पहुँच जाता है, जहाँ से उसे फिर से चढ़ना असंभव लगता है।

यही ‘हिटिंग द रॉक बॉटम’ कहलाता है….  जीवन का सबसे बुरा होने का अहसास होना…

जिससे, की आप खुदको समाप्त करना चाहते है।

पर फिर भी लोग जिंदगी जीने की कोशिश करते रहेते हैं |

क्योंकि अगर आपके साथ कुछ बुरा होता है, तो आप पर निर्भर लोग क्या करेंगे?

इस सोच के साथ हताशा के साथ जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं।

मन की गहराइयों में केवल अवसाद है, डिप्रेस्शन है.. लेकिन अपने कुछ प्रियजनों के लिए जीना पड़ता है। इस अवस्था तक आप पहोंच जाते हैं |

जीवन में होने वाली बुरी चीजों के लिए किसे दोषी ठहराया जाए.. ??

हमेशा तो आप जो चाहते थे वो मिलता था, या जीवन अच्छा चल रहा था, तो अचानक इतने सारे संकट आने पर किसी और को कैसे दोष दिया जा सकता है ??

लेकिन जब विपत्तियाँ आती हैं, तो हम परेशान होते हैं.. यह सच है.. इसके लिए हमें कुछतो करना ही होगा, है ना..?

एक बार जो जीवन मिला है उसे उत्साह के साथ क्यों न जियां जाए… ??

कैसे उसे सचेत, खुशहाल रास्ते की ओर ले जाया जा सकता हैं.. ?? जो भी स्थिति हो, उसके साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार रहें….

इसके लिए आज हम कुछ टिप्स शेयर कर रहे हैं। ये नौ मैजिकल मंत्राज् मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए मदतगार साबित होंगे |

१. स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश न करें :

कोई भी सिच्युएशन हो, उससे निपटने के लिए तैयार रहें।

परिस्थितियों से भागना, कुछ न कुछ कारन बताके जिम्मेदारियों से मुँह मोड़ लेना नुकसानदेह हो सकता हैं।

यदि आपके सामने कार्य है, वो आपको नहीं आ रहा है, तो उसे छोड़ना और आगे बढ़ना आपके हित में नहीं है।

जो भी आपके सामने कठिन कार्य है उसे सहजता से करना है ऐसा मन से सोचें….

इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करें।

अगर हम स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं,  इस पर कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं, तो हम स्थिति को और जटिल बना रहे हैं।

इसका खामियाजा हमें खुद भुगतना पड़ता है। इसके बजाय जो हो रहा है उसे होने दें…. इसे अनदेखा न करें या इससे दूर भी न भागे…

अगर कोई काम नहीं आता है, तो उसे सहजता से ले, शांतपूर्ण तरीकेसे उसपर विचार करें।

जरूरत पड़े तो किसी की सहायता लेने में कोई हिचखीचाहट महसूस न करें।

अगर आप सहजता से परिस्थिति को सुलझा पाते हैं, तो आपका आत्मविश्वास ही आपमें उत्साह भरने के लिए काफ़ी होगा।

२. हमें सारे काम आने ही चाहिए ऐसी जिद न रखें :

सभी काम, सभी निर्णय हमे खुद ही लेने की जरूरत नहीं हैं।

अगर हम एक ही समय में एक प्लेट में भोजन का पहाड़ परोसते हैं, तो हम सब कुछ खा पाएंगे..??

नहीं, ना.. काम के साथ भी ऐसा ही है..

आप जिस काम को करना चाहते हैं, उसमें सभी को शामिल करें..

जो जिस काम में सबसे अच्छे है उसे वो भाग देकर उस पर विश्वास कर के उसे वो काम करने दें।

टीम के साथ किई गई गतिविधियाँ, आपके काम को तेज और बेहतर बनाएगी.. और सभी के लिए काम सहेज होगा।

३. अपने स्वयं के अंतर्मन पर विश्वास करें :

‘सुनना जग की करना मनकी’ ऐसी कहावत तो सुनी ही होगा आपने..

हम निश्चित उम्र के बाद और अनुभवों की मदद से अपने लिए सही निर्णय ले सकते हैं…

हम स्थिति को ठीक से संभाल सकते हैं….

इसलिए, आपको अपने बड़े अनुभवी लोगों से सलाह-मशवरा करना चाहिए।

लेकिन उसमे से जो आपकी परिस्थितियों के लिए सही हैं, ये खुद फैसला करें।

आपका अंतर्मन आमतौर पर आपको धोखा नहीं देता है.. इसलिए ध्यान से सोचें कि यह क्या कहता है ..

४. ‘ अगर – मगर ‘ के चक्रव्यूह में न फ़से :

ये ‘अगर – मगर’ बहुत नुकसानदेह हो सकता हैं….

अगर ऐसा होता है तो मैं वैसा करूंगा….

इस भूलभूलैया में एक बार फस गये तो हम फ़सते ही चले जाते है।

आपका सुख, आपका दुःख यह किस किस पर निर्भर करेगा.. ??

यदि हम ऐसा करते रहे, तो एक दिन हम काफी तनाव में होंगे और फिर हम जीवन के दुखद मार्ग पर पहुंच जाएंगे।

इसलिए हमें इस ‘अगर-मगर’ से बचना चाहिए। हमें वर्तमान क्षण में रहना सीखना होगा।

इस विषय पर मनाचेTalks मराठी पर एक शानदार लेख है.. ज़ल्द ही इसका हिंदी संस्करण यहाँ लिखा जायेगा |

https://www.manachetalks.com/10931/marathi-motivational-prernadayi-lekh-manachetalks/

इसे अवश्य पढ़ें.. इसके सभी दुष्प्रभावों को समझें..

५. जीवन में अनुशासन लाए :

आपको स्कूल में रहते हुए अनुशासित रहना पड़ता है।

अगर अनुशासन का पालन नहीं करते है तो सजा मिलती है।

लेकिन, अनुशासन का पालन किया जाए तो स्कूली जीवन सफल होता है।

जीवन भी ऐसा ही है.. अनियंत्रित जीवन एक बुरे मोड़ पर आके रुक जाता हैं!!

लेकिन अगर अनुशासन लागू किया जाए, तो हम कठिन समय को आसान बनाने में सफल हो सकते हैं।

रोज कुछ न कुछ अच्छा करने की आदत डालें।

अच्छे से पेश आये,लोगों की मदद करें… आपकी तरक्की करने वाले शौक को पूरा करें।

अक्सर ऐसा होता है कि आपके सामने वाला व्यक्ति आपकी मदद करने, या किसी भी अच्छाई का फायदा अगर उठाये तो आपका अच्छाई से विश्वास उठ जाता है।

ऐसे में जो भी हुआ उस पर पछतावा न करना आपके हित में है।

यह महसूस करना कि किसी को बुरे समय में मदद करना आपका प्लस पॉइंट था और उस मदद का सम्मान करने की सामने वाले व्यक्ति की पर्याप्त निष्ठा नहीं थी।

यह सोच आपको अपने परेशानी वाले दिनों में मजबूत बने रहने में मदद करती है।

६. नींव मजबूत बनाये :

अपने जीवन की नींव को मजबूत रखें.. यह आपके स्वयं के अच्छे व्यक्तित्व को विकसित करने में मदद करता है।

पैसों के पीछे भागते हुए उन लोगो को दुख मत पहुचाये जो आपके प्रियजन हैं।

पैसा आज है, कल नहीं है…. लेकिन अगर लोग आज खो देते हैं, तो वे दोबारा नहीं मिलते हैं….

रिश्तों, ज्ञान और लक्ष्यों की नींव को मजबूत रखे.. सब को संतुलित करते आना चाहिए।

७. आपका का आंनद किसमें है ये जान लें :

खुशी पाने के लिए तर्कहीन तरीके से काम न करें।

यदि आप बड़ी खुशियाँ पाने के लिए उसके पीछे दौड़ते हैं, तो आपको पता नहीं चलेगा कि आपको किस चीज़ से खुशी मिल रही है।

खुशी वास्तव में छोटी-छोटी चीज़ों में है। केवल उसे खोजते आना चाहिए ..

हमारे आस-पास के लोग, प्रकृति, जानवर, घटनाएँ सभी बहुत आनंददायक हैं।

लेकिन इसे जानने के लिए आपको अपनी इन्द्रियों को सचेत रखना होगा..

नहीं तो आप कुछ बड़ा पाने के मूड में इन सब से दूर होते जाएंगे।

८. प्रयास पर जोर दें:

कोशिश करना न छोड़ो। सफलताएँ और असफलताएँ आती हैं…

लेकिन अगर आप कोशिश करना छोड़ देते हैं, तो मान लीजिए आप हार जाते हैं।

हारने वाला कभी खुश नहीं रह सकता…. दुनिया उसे लूज़र के रूप में जानती है।

यदि आप कुछ करना शुरू करते हैं, तो इसे पूरा करने के लिए इच्छुक रहें….

यदि आप आज कड़ी मेहनत करते हैं और कल उसी काम से ऊब जाते हैं, तो उस काम के प्रति आपका दृष्टिकोन बदलेगा….

किसी भी काम को मंज़िल तक पूरा करने के लिए आपके प्रयासों में कंसिस्टेंसी होनी चाहिए।

९. ईमानदार रहें और अपने सिद्धांतों को न छोड़ें:

ईमानदारी से काम करना और अपने सिद्धांतों को नहीं छोड़ना आपको जीवन में बहुत सम्मान दिलाता है…..

लोग आपको पहचानते हैं, आपके व्यवहार से आप पर विश्वास करते हैं।

झूठ बोलने से किसीका भी भला नहीं होता हैं।

झूट के सहारेसे समय तो टाला जा सकता हैं, लेकिन वही झूठ कभी न कभी आपके सामने एक राक्षसी रूप में आता है…

ऐसी स्थिति से गुजरने के बजाय सच्चाई को बताकर स्थिति का सामना करना अधिक योग्य हो सकता हैं।

कहने की जरूरत नहीं है की, ‘एक झूठे की शून्य विश्वसनीयता होती है।’

अपने सिद्धांतों पर भी कायम रहें। एक बार जब आप दूसरों के गलत सिद्धांतों के आगे झुक जाते हैं, तो आप को जीवन भर पछताना पड सकता हैं।

दोस्तों जीवन जीने के लिए ये सबक जानना बहोत जरुरी हैं। इस भाग दौड़ भरी दुनिया में किसी भी परिस्थितियों में संतुलित रहने के लिए ये नौ नियम बेहद आवश्यक हैं।

इसलिए अगर ज़िन्दगी उबाऊ और एकाकी हो रही है…. तो इन पाठों को याद रखोगे तो निश्चित रूप से दुनिया फिर से सुंदर होगी…. जीवन प्यारा होगा….!!

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