पत्थर से निर्मित क्यों नहीं डूबा राम सेतु, क्या है रामसेतु के रहस्य ?

रामसेतु के रहस्य

आज 5 अगस्त भगवान श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर का शिलान्यास होने जा रहा है। आप सभी श्रद्धालुओं को मनाचेTalks हिंदी के तरफ से, जय श्री राम!

रामायण और इतिहास के अनोखे पात्रों में से एक है हमारा श्री राम सेतु!

आज हम इसके रहस्यों की चर्चा करने वाले हैं। जाने रामसेतु के रहस्य।

धार्मिक मान्यता अनुसार जब लंकापति रावण, माता सीता का हरण कर ले गया। तब भगवान श्री राम ने वानरों भालुओं की सहायता से सागर को पार करने के लिए एक पुल का निर्माण किया।

जिसे रामसेतु के नाम से जाना जाता है । आश्चर्य की बात है, 30 km लंबे और 3 km चौड़े इस पुल का निर्माण मात्र 5 दिन में किया गया।

इन सेना समूह में एक नल और नील नाम के शिल्पकार थे।

जो भगवान विश्वकर्मा के पुत्र थे, वैज्ञानिकों का मानना है कि संभवतः नल-नील को ये पता था कि पत्थरों को पानी में किस तरह रखा जाए कि ये डूबे भी नहीं और एक दूसरे का सहारा भी बना रहे।

भारत की वास्तुकला का कोई तोड़ नहीं है। आज भी प्राचीन वास्तुकला निर्मित मंदिरों को देखते हुए विशेषज्ञों को मानना पड़ता है कि आज के टेक्नोलॉजी में भी ऐसे शिल्प कर पाना मुश्किल ही नहीं असंभव है।

विज्ञान का दूसरा मत

नासा के सैटलाइट द्वारा सर्व प्रथम राम सेतु का चित्र लिया गया।

नासा ने इसे मानव निर्मित पुल मानते हुए, अनुमान लगाया कि रामसेतु बनाने के लिए एक खास प्रकार के पत्थर का उपयोग किया गया जिसे ‘ झावा पत्थर ‘ कहा जाता है।

यह विशेष पत्थर ज्वालामुखी के लावा से उत्पन्न होते हैं।

झावा पत्थर

ज्वालामुखी के प्रक्रिया से ऐसे पत्थर का निर्माण होता है, जिसमे कई छिद्र होते हैं। छिद्र की वजह से यह पत्थर स्पंजी आकार लेे लेता है।

जिसका वजन बहुत कम होता है, क्योंकि इसके अंदर हवा भर जाता है।

जब भी यह पानी में जाता है तो हवा इसे ऊपर रखती है।

धीरे धीरे जब इसके छिद्र में पानी भरने लगता है तो यह पत्थर डूब जाता है। शायद यही कारण है कि ये सेतु खुद ब खुद डूबकर नष्ट हो गया।

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2 Responses

  1. Ye sab meri prabhu ki lila hay jay shree ram

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