जद्दोजहद
इस मन के खेल को समझना भी बहुत मुश्किल होता है हमेशा ही। ये अपने आगे “बे”लगा कर हर काम करने को आतुर मनःस्थिति को कब बिपरीत दिशा में मोड़ दे कहा नहीं जा सकता...
इस मन के खेल को समझना भी बहुत मुश्किल होता है हमेशा ही। ये अपने आगे “बे”लगा कर हर काम करने को आतुर मनःस्थिति को कब बिपरीत दिशा में मोड़ दे कहा नहीं जा सकता...
स्त्री इश्वर की, एक ऐसी रचना… जिसे बना के खुद ख़ुदा ने भी समझ पाने की हिम्मत नहीं की शायद। एक ऐसी अनबुझी पहेली जो जितनी सरल और सहज प्राप्य है, जटिल ही नहीं, नामुमकिन...