लेखक चेतन भगत की, औक़ात पार करने की प्रेरणादायी कहानी
भारत में एक बहुत ही खास शब्द है। हम में से हर किसी ने यह शब्द सुना हैं। वो शब्द है – औकात
ये चीज तुम्हारी औकात से बाहर है। या अपनी इतनी औकात नहीं है।
ऐसा बहोत बार हमने सुना हैं। लेकिन आपको अपनी औकात पार करनी होगी।
औकात हर किसी के लिए अलग हो सकती है।
एक तो लोग तय करते हैं कि, आप की क्या औकात है।
या दुसरा आप सोचते हैं कि मैं इतना ही कर सकता हूँ। औऱ मेरी इतनी ही औकात है।
लेकिन आप जब तक अपनी औकात पार नहीं करोगे, तब तक आप सक्सेसफुल इंसान नहीं बन सकते।
ऐसा प्रसिद्ध लेखक चेतन भगत कहते हैं।
लेखक चेतन भगत अभी तक कई फिल्में, किताबें, न्युज पेपर में काॅलम लिखते आये हैं। लाखों युवा चेतन भगत को अपना मार्गदर्शक मानते हैं।
तो चलिए जानते हैं, चेतन भगत की औकात पार करने वाली कहानी को..
दिल्ली के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में चेतन भगत को पहली बार औकात का सामना करना पड़ा दसवीं के रिजल्ट के दिन …
जब चेतन भगत दसवीं कक्षा के रिजल्ट के साथ घर आए, तो उनका परिवार और कुछ रिश्तेदार नाराज चेहरे के साथ बैठे थे।
जबकि चेतन भगत को 76% मार्क्स मिले थे। फिर भी सभी लोग नाराज थे।
बाकी लोगों को मानना था कि और ज्यादा मार्क्स आते तो अच्छा काॅलेज, अच्छी नोकरी और फिर अच्छी लाईफ….
फिर उनके मामा ने कहा कि चलो कोई बात नहीं, चेतन लाईफ में कुछ ना कुछ तो कर ही लेगा।
चेतन भगत की उम्र उस समय सिर्फ 15 साल थी।
उस उम्र में उन्हें ज्यादा कुछ तो समझ नहीं आया लेकिन इतना सोचा कि लाईफ में कुछ बड़ा करना है।
उन्होंने अपने बेडरूम में जाकर अपनी डायरी निकाली और उसमें अपने करियर प्लान के बारें में लिखने लगे।
उसी दौरान टेलीफोन बुथ का जमाना था। तो उन्होंने भी सोचा कि मैं भी एक टेलीफोन बुथ चालू करुंगा।
और मेरे एक से दो टेलीफोन बुथ होंगे। और ज्यादा मेहनत करूंगा तो मैं चार टेलीफोन बुथ चालू कर सकता हूँ।
फिर क्या लोग काॅल करने आते रहेंगे और पैसे देते रहेंगे। जीवन भर आराम से पैसा मिलता रहेगा। कोई टेंशन नहीं कुछ नहीं।
यह प्लान उन्होंने अपने घरवालों को दिखाया।
तो मामाने कहा कि, इतना तो तुम कर ही लोगे। लेकिन चेतन भगत को यह बात पसंद नहीं आयी।
इतना ही कर लोगे के पिछे का मतलब था, बेटा तुम्हारी इतनी ही औकात है। तुम जीवन में यही करलो….
तो चेतन भगत ने सोचा ऐसा कुछ करना होगा कि लोग जो मेरे बारे में सोचते हैं, उससे ज्यादा करना होगा।
उन्होंने सोचा कि सबसे बड़ा काॅलेज कोनसा है। उस काॅलेज में एडमिशन लेकर दिखाना है।
फिर उन्होंने IIT में एडमिशन की तैयारी शुरू कर दी।
पहली बार औकात पार कर दी लेकिन…
दिन रात तैयारी करके उन्होंने IIT Delhi में एडमिशन लिया।
तभी जाकर उन्हें एहसास हुआ कोई भी चीज अपने औकात से बड़ी नहीं होती है।
आय. आय. टी. में एडमिशन होने के बाद उनके मामा ने कहा – मुझे पता था तुम इतना तो कर ही लोगे।
अब तुम्हारी लाईफ सेट हो गई। काॅलेज में अच्छे नंबर लाओ और फिर एक अच्छी कंपनी में नोकरी, अच्छी सैलरी, फिर बढ़िया लाईफ जिओ।
चेतन भगत को तब एक बात समझ में आयीं। ‘ये औकात नाम की चीज जो है, वो दुसरों के लिए तुम्हारी अभी की लाईफ है।’
लेकिन तुम्हें तुम्हारी औकात तय करनी होगी। तुम्हें पता करना होगा तुम क्या कर सकते हो।
एक पुरानी कहावत है चद्दर देखकर पैरों को फैलाओ।
लेकिन ये बात सिर्फ पैसा खर्च करने तक सहीं है। सपना देखने के लिए नहीं।
सपनो के लिए किसी भी चद्दर की जरुरत नहीं ना कोई पैसा खर्च होता है। हमें सपना देखना आना चाहिए।
उसे पुरा करने के लिए मेहनत करनी आनी चाहिए।
तुम जब तक सपना नहीं देखतें हो तब तक अभी से कुछ बड़ा कर नहीं सकते।
आप पहले अपनी औकात से बड़े सपने देखों तभी आगे जाकर अपनी औकात पार कर लोगे….
एक किताब के लेखक से बाॅलीवूड फिल्मों के लेखक बनने से पहले औऱ पढ़ाई पुरी होने के बाद चेतन भगत ने हाँगकाँग में कुछ साल नौकरी की।
नौकरी करते समय उनके दिमाग में एक खयाल आया, क्यों ना एक किताब लिखी जाये।
उनकी पहली बार २००४ में ‘Five Point Someone’ नाम की किताब पब्लिश हुई।
इस किताब को लोगों ने बहोत पसंद किया।
‘Five Point Someone’ यह किताब बेस्ट सेलर रही।
आगे जाकर इसी किताब पर अमिर खान की ‘3 Idiot’ फिल्म बनी। और यह फिल्म भी ब्लाॅक बास्टर साबित हुई।
चेतन भगत के कई किताबों पर अभी तक फिल्में बनी है।
‘One Night The Call Center’ पर ‘हैलो’, ‘3 Misteks Of My Life’ पर ‘काई पो छे’, ‘2 States – The Story Of My Marriage’ पर ‘टू स्टेट्स’, ‘Half Girl Friend’ पर ‘हाफ गर्लफ्रैंड’ जैसी फिल्में बनी है।
चेतन भगत का युवाओं में इतना करिश्मा हैं कि उन्हें २०१० के 100 Most Influential People में शामिल किया था।
चेतन भगत औकात पार करके सक्सेसफुल होने के कुछ टिप्स बताते हैं..
चेतन भगत लेखक होने के साथ साथ युवाओं को मार्गदर्शन भी करते हैं।
वो हमेशा अपने लक्ष्य तक पहुंचने के कुछ टिप्स बताते हैं
१) बेसिक प्लान
अपना लक्ष्य तय होने पर हमें पहले उसका एक बेसिक प्लान तैयार करना होगा।
वो प्लान सिर्फ सोचना नहीं है उसे कागज पर लिखो।
लिखने से हम लक्ष्य के बारे में और प्लान के बारे में क्लियर हो जाते है।
हम जितना अपने ध्येय के बारें में क्लियर होंगे उतने ही ज्यादा फोकस के साथ आगे बढ़ सकते हैं।
२) एक्शन लेना होगा।
किसी भी ध्येय के लिए हमें मास्टर प्लान की ही, जरूरत होगी ऐसा नहीं हैं।
एक बेसिक प्लान भी हो उस पर एक्शन लेना बहुत ही जरुरी है।
जब तक हम उस पर काम करना शुरू नहीं करते तब तक वो प्लान वो सपना पुरा नहीं होगा।
इसलिए ये एक्शन वाली स्टेप बहोत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है।
और कई सारे लोग एक्शन ही नहीं लेते इसीलिए सक्सेसफुल नहीं बन पाते।
३) बिना रुके मेहनत
मेहनत दो प्रकार की होती है, शाॅर्ट टर्म वाली मेहनत और लंबी मेहनत।
शाॅर्ट टर्म मेहनत के लिए ना ज्यादा एफर्ट्स लगते है ना उससे बड़े सपनों के लिए फायदा होता है।
लेकिन हर दिन के काम में इसका महत्व अधिक होता है। जैसे घर का काम वगैरह हम रोज करते।
लेकिन लंबी मेहनत से बड़े सपने सकार होते है।
लंबी मेहनत कुछ सालों की हो सकती है। इसके लिए हर दिन काम करना पड़ता है।
और इसमें प्राॅब्लैम आना या इतने दिन इंतजार करने का मन न करना, जैसा हो सकता है।
और असली इम्तिहान यही होता है। इतने दिन लगातर मेहनत करते वक्त कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
ऐसा हो सकता है कि किसी दिन प्लान के हिसाब से ना हो और दिन खाली जाएं। लेकिन उस एक दिन के बजाय हमें बाकी कितने दिन है उसपर ध्यान देकर काम करते रहना होगा।
मतलब सक्सेस को पाना है तो अपने उस ध्येय पर एक्शन और बिना रुके मेहनत यही फाॅर्मूला अपनाना होगा।
दोस्तों, इसी फॉर्म्युला को अपनाके हम भी हमारी औकात पार करके, एक सक्सेसफुल इंसान बन सकते है।
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