समूह में बोलने के डर को काबू में लाना हो तो ‘ये’ सात उपाय आजमाइए
आज के दौर में बोलना बहुत ही जरूरी है। हम में से कई लोग हैं जो बोलने से घबराते हैं। अपनी बात या अपने विचारों को अपने दोस्त, रिश्तेदार या फिर ऑफिस में किसी के सामने नहीं बोल पाते हैं, हिचकिचाते हैं और घबरा जाते हैं।
हालांकि इस बात का लोगों की योग्यता से कोई मतलब नहीं होता, फिर भी यह बात उनकी छवि को नेगेटिव रूप से प्रभावित करती है।
ऐसी घड़ी कभी भी आ सकती है- पढ़ाई के दिनों में, नौकरी के लिए दिए जाने वाले interview के समय, नौकरी के दौरान।
दोस्तो इस हिचक को तोड़ना कोई कठिन काम नहीं है। बस अपने डर पर काबू पाना होगा और संकोच त्यागना होगा।
ऐसे लोगों को पब्लिक स्पीकिंग कॉमन फोबिया होता है। इसका वैज्ञानिक नाम एरिथ्रोफोबिया है जो कि एक प्रकार की बीमारी है।
एरिथ्रोफोबिया से कैसे पाये छुटकारा ?
सबसे जरूरी बात जो ध्यान रखने वाली है, वो यह है कि इसका इलाज लोगों के खुद के हाथो में रहता है।
- जो व्यक्ति अपनी बात कहने में डरता हो या संकोच करता हो उसे अपने अंदर एक आत्मविस्वास पैदा करना होगा।
- दोस्तो शर्म जरूरी है, लेकिन जरूरत पड़ने पर ही। हर समय या हर बात में संकोच करना या झिझकना अच्छी आदत नही है।
- अनजान लोगो से बेझिझक मिलना और उनसे बाते करना उनकी बातों को ध्यान से सुनना और अपनी बातों को स्पष्ट कहना, इसी से ही हिचकिचाहट हटती है और confidence develop होता है।
- ग्रुप में discussion करने से घबराना नहीं चाहिये बल्कि discussion करते रहना चाहिए और अपनी जिज्ञासा को शान्त करने के लिए प्रश्न पूछना चाहिए तथा सामूहिक डिबेट में दूसरे लोगों की बातों को गौर से सुनना चाहिए।
अपने मजबूत पक्ष याद रखें
- Social anxiety के कारण बोलने में हिचकिचाहट की समस्या होती है।
- ऐसे में व्यक्ति को अपना उद्देश्य याद रखना जरूरी है और उन्हें सफलता मिलेगी या असफलता इसकी परवाह नहीं करना चाहिये।
- अपनी कमजोरियों के बारे में ना सोच कर अपने व्यक्तित्व के मजबूत पक्ष के बारे में सोचना चाहिए।
- किस कारण से झिझक या संकोच महसूस होता है, उस वजह को खोजना चाहिए।
- और लोगों के सामने बोलने का अभ्यास करना चाहिए।
नियमित अभ्यास की है जरूरत
- लोगों के सामने बोलने का अभ्यास करना होगा।
- संकल्प लेना होगा की डर पर काबु पाना ही है।
- डर को अपने ऊपर हावी नही होने देना है। इसके लिये नियमित रूप से प्रयास करना जरूरी है।
- प्रारम्भ में स्वयं को थोड़ा uncomfortable लगेगा लेकिन थोड़े दिन बाद जब अहसास होगा कि अपनी बात रखने में कठिनाई नही हो रही है तो फिर easily अपनी बात रख सकेंगे।
परिचितों से करें शुरुआत
- बिना झिझक के आत्मविश्वास के साथ बोलने का अभ्यास सर्व प्रथम अपने मित्रों और रिश्तेदारों के साथ करना चाहिए।
- जब आप महसूस करने लगे कि सहजता से बोल ले रहे हैं तो फिर अपरिचितों के साथ बात करें।
- इस तरह से धीरे धीरे हिचक मिट जाएगी और आप लोगों के बीच आत्मविश्वास से बोलने लेगेंगे।
ज्ञान की वृद्धि
जब हमारे पास knowledge कम होता है, तो हम संकोच करते हैं या जब हमारी प्रैक्टिस बहुत अच्छी नहीं होती है या जब हमारी इंग्लिश बेहतर नहीं होती। इसलिए public speaking के लिए अपनी knowledge पर कमांड होना और English language पर कमांड होना बेहद जरूरी है।
प्लान बनाएं
कुछ भी बोलने के पहले आपको एक प्लानिंग करना जरूरी हैं। इससे आप अपने विचार सही ढंग से पेश कर सकेंगे। आप किसी भी तरह के ऑडियो या विजुअल का यूज कर के अपनी बात रखना चाहें तो उसे भी आप खुद ही तैयार करें तो आपकी बात ज़्यादा effective होगी।
ठहराव
- जब भी आप किसी के सामने कुछ बोल रहे हैं तो तनाव महसूस न करें।
- बोलते समय अपनी बातों में ठहराव जरूर रखें ताकि आपकी बात ज्यादा से ज्यादा लोग समझ सकें।
- जिस बारे में बोलना है उसके बारे मे पहले सही तरह से research करें ताकि आपकी बात सही साबित हो।
नर्वस न दिखें
- नर्वस होने पर सांस बढ़ने लगती है जिससे उसका डर साफ दिखाई देने लगता है।
- अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो आप अपनी सांस पर कंट्रोल करना सीखें।
- नर्वस हर कोई होता है लेकिन nervousness का पता सामने वाले को नहीं लगना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
अपने विचारों को प्रकट ना कर पाने की वजह से झिझकने की बीमारी जन्म लेने लगती है। जिसकी वजह से लोगो का आत्मविश्वास कम होता जाता है और इससे उनके सोचने की और तर्क करने के क्षमता भी कम होती जाती है।
जिससे उनकी सारी personality effect होती है और ऐसे लोग हर बात के लिए दूसरे के सहारे की खोज में रहतें हैं। छोटे से छोटे काम के लिए भी दूसरे की जरूरत महसूस करते हैं और किसी से बात करने की हिम्मत नहीं कर पाते।
दोस्तों अगर आप भी इस टाइप के लोगों की श्रेणी में आते हैं, लोगों से संपर्क करने और उनसे खुल कर बोलने में uncomfortable महसूस करते हैं तो आज से ही इसे बदलने का प्रयास करें। क्योंकि introvert nature सफलता में बाधक बन सकती है।
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