परिवार की जान बचाने को पिछले तीस साल से दुल्हन बन रहा यह शख्स
हम इसे अंधविश्वास कहें या फिर कुछ और कहें लेकिन यह सच्चाई है कि, पश्चिम बंगाल के चिंताहरण चौहान पिछले 30 सालों से दुल्हन का रूप धारण करते हैं।
कोई ये भी मान सकता है की, चिंताहरण तृतीयपंथी है, पर तृतीयपंथी बनकर जीवनमे आनेवाली कठिनाइयों से बचने के लिए, चिंताहरण ने इस कहानी को अपने जीवन सच बना लिया है।
चिंताहरण की रोजाना की दिन चर्या ठीक वैसे ही शुरु होती है जैसे एक महिला की होती है।
सुबह उठकर नहाने के बाद वे ठीक वैसे ही श्रंगार करते हैं जैसे कोई नई-नवेली दुल्हन करती है।
नाक में नथनी, मांग में सिन्दूर, गले में मंगलसूत्र और फिर साड़ी……
चौहान जब 14 वर्ष के थे तभी उनकी शादी हो गई थी, लेकिन शादी के चार साल बाद ही उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया।
इसके बाद वे अपने गांव से पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर आ गये जहाँ उन्हें एक भट्टे पर वहाँ के लेबर्स के लिए अनाज लाने की नौकरी मिल गई।
चौहान जिस दुकान से अनाज लाते थे उस दुकान मालिक की बेटी से चौहान की दोस्ती हो गई और फिर दोस्ती प्यार में बदल गई।
दोनों ने शादी कर ली, लेकिन इन दोनों की शादी चौहान के परिवार को मंजूर न थी, और पारिवारिक दबाव में चिंताहरण चौहान को अपनी पत्नी को छोड़ना पड़ा और उन्होंने दिनाजपुर छोड़ दिया, इसके बाद जब वे एक साल बाद दिनाजपुर पहुंचे, तो पता चला कि उस लड़की ने आत्महत्या कर ली।
इधर चिंताहरण के परिवार वालों ने उनको तीसरी शादी के लिए मनाना शुरु कर दिया।
फिर पारिवारिक दबाव में आकर उन्होंने तीसरो शादी कर ली। सबको लगने लगा कि अब चिंताहरण की जिंदगी की गाड़ी पटरी पर आ गई है, लेकिन हुआ इसका उल्टा।
चिंताहरण के सपने में दिनाजपुर वाली लड़की आती और उनसे लड़ती थी, साथ ही धोखा देने पर बुरा-भला कहती थी।
फिर शुरु हुआ उनके परिवार में मौतों का सिलसिला। इस क्रम से सबसे पहले चिंताहरण ही बीमार हुए लेकिन वे ठीक हो गये लेकिन उनके पिता की मृत्यू हो गई।
पिता के बाद उनके भाई-भाभी और उनके दोनों बच्चे भी मर गये। छोटा भाई भी चला गया।
खुद चिंताहरण के सात बच्चे भी मर गये। लेकिन उस दिनाजपुर वाली लड़की का सपने में आना बंद नहीं हुआ।
चिंताहरण सपने में ही उससे लगातार माफी मांगता रहता था लेकिन वो नहीं मानती थी। एक दिन उसने चिंताहरण से सपने में कहा कि चिंताहरण को हमेशा एक औरत के रूप में रहना होगा ताकि वो हमेशा चिंताहरण के साथ रहे सके।
चिंताहरण ने उसकी यह बात मान ली और इसके बाद से चिंताहरण ने यह रूप धारण कर लिया। चिंताहरण का यह दावा है कि इसके बाद से उनके परिवार में कोई मौत नहीं हुई है।
चिंताहरण बताते हैं वे सिर्फ अपने परिवार को बचाने की खातिर ही यह सब कर रहे हैं।
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