कैसे लोगों को बनाएं दोस्त और कैसे लोगों से रहें दूर, जानिए कुछ टिप्स
जिंदगी में दोस्त न हों तो जिंदगी नीरस होती है और जीने का कोई मज़ा नहीं रहता, क्योंकि दोस्त ही वह जन होते हैं जिनसे हम अपने मन के सुख-दुख को शेयर करके किसी भी विषय पर सलाह-मशवरा कर सकते हैं।
दोस्तों के साथ बैठकर हंस-बोल सकते हैं और घूम-फिर सकते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि हमारे दोस्त ही समय पड़े पर हमारी मदद भी करते हैं और इस तरह कई बार हम बड़ी दिक्कत या परेशानी से बच जाते हैं।
सही मायनों में दोस्त हमारे लिए खुशी और उमंग के उस झरने के समान होते हैं जिनसे हमें जीवन में कुछ नया करने की प्रेरणा और उत्साह मिलता रहता है।
जिनके सानिध्य में हमारे मन के सब गम छू मंत्र हो जाते हैं और हम परेशानी में भी हंसने-मुस्कराने लगते हैं।
जिनसे हम अपने सगे-संबंधियों जैसा प्यार करने लगते हैं और उनकी तरह ही वे भी हमारे जीवन का अहम् हिस्सा बन जाते हैं तथा हमारे आसपास मौजूद रहने लगते हैं।
यह जरूरी है कि जिंदगी में हमारे दोस्त या मित्र होने चाहिए, मगर उससे भी जरूरी यह है कि हमारे दोस्त या मित्र नेक,भले या सच्चे मित्र होने चाहिए।
अगर दोस्त स्वार्थी, चरित्रहीन,या गलत आदतों के आदी हों तो उनका हमारे जीवन न होना ही अच्छा रहता है,क्योंकि ऐसे दोस्तों से हमें कोई खुशी मिलने वाली नहीं होती। ऐसे दोस्त हमेशा हमारे लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं और उनके कारण हमें परेशानियों को सहना पड़ सकता है।
ऐसे दोस्तों की संगति में रह कर हमारा खुद का आचार-व्यवहार या चरित्र भी भ्रष्ट हो सकता है। हमारे भीतर हज़ार गुण होते हुए भी हम अवगुणी ही साबित हो सकते हैं।
इसका कारण यह कि कीचड़ में धंसी एक भैंस अपने संपर्क में आने वाली सौ भैंस को कीचड़ लगा सकती है।
इसीलिए लिए जीवन में जब दोस्तों का चुनाव करना पड़े तो बहुत ही समझ-बूझ या समझदारी से करना चाहिए और जो लोग दोस्ती के काबिल न हों उनसे हमेशा दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
दोस्त कैसे लोगों को बनाना चाहिए और कैसे लोगों को कभी भी दोस्त नहीं बनाना चाहिए इस बारे में नीचे कुछ टिप्स दिए गए हैं।
1) ऐसे लोग जिनके व्यवहार और चरित्र के बारे में आपने संपूर्णतः जांच-परख कर ली है तथा आपकी दृष्टि में वे खरे उतरते हैं, आप उनको बेझिझक अपना मित्र बना सकते हैं।
2) ऐसे लोग जो स्वच्छता को पसंद करते हैं और प्रकृति से प्रेम करते हैं और प्रकृति के बनाए जीव-जंतुओं के प्रति मन में प्रेम व दया भावना रखते हैं, सामान्यतः अच्छे इनसान होते हैं और दोस्ती या मित्रता के योग्य होते हैं।
इसका कारण यह कि ये संसार को भौतिक रूप को देखने के साथ-साथ उसके सजीव रूप को भी देखते हैं और ऐसे लोग परमात्मा में आस्था रखकर जीवन में सदगुणों को अहमियत देते हैं।
3) कुछ व्यक्ति जो आवश्यकता से अधिक क्रोधी, ईर्ष्यालु,अहंकारी, लोभी, डरपोक और स्वार्थी प्रकृति के होते हैं उनसे गहरी दोस्ती करने के बजाय सामान्य व्यक्ति का व्यवहार करना ही सही रहता है, या इनसे बचे रहने में ही भलाई होती है, क्योंकि इनके यह अवगुण कभी भारी पड़ सकते हैं।
4) कुछ लोग अपने से बड़ों या बुजुर्ग लोगों का बहुत कम सम्मान करते हैं या फिर बिलकुल भी नहीं करते हैं और हमेशा ऐसे लोगों की उपेक्षा करते हैं।
हम ऐसे लोगों को संस्कारहीन लोग कहेंगे और ऐसे संस्कारहीन लोग कभी भी दोस्ती के लायक नहीं हो सकते।
5) आपस में एक-दूसरे की मदद न करने वाले या मदद करने के बजाय दूसरों को कष्ट में देखकर सुख महसूस करने वाले लोग भी कभी किसी अच्छे व्यक्ति की दोस्ती के योग्य नहीं कहे जा सकते। अतः इनसे भी दूर रहने में ही भलाई होती है।
6) दोस्ती या मित्रता के लिए सबसे उपयुक्त वे लोग होते हैं जो आपसी प्यार और रिश्तों को जिम्मेदारी के साथ निभाना जानते हों। जिन्हें अच्छे-बुरे की समझ हो और जो दूसरों की भावनाओं की कदर करने के साथ-साथ दूसरों के मान-सम्मान का भी पूरा ख्याल रखने के आदी हों।
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