अपेंडिक्स का प्राकृतिक रूप से कैसे करें उपचार? अपेंडिक्स के घरेलु उपचार?
अपेन्डिसाइटिस का अर्थ होता है- अपेंडिक्स के दूसरे किनारे का अवरुद्ध होना या रुक जाना। इसके अवरुद्ध होने का मुख्य कारण इसमें श्लेषमा का जमाव हो जाना होता है।
उदर के बाएं निचले हिस्से में असहनीय दर्द अथवा पीड़ा अपेन्डिसाइटिस का सबसे प्रमुख लक्षण माना जाता है। इसका दर्द वास्तव में ही बड़ा असहनीय होता है। इस स्थिति में चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना अनिवार्य होता है और जरा-सी भी लापरवाही भयंकर साबित हो सकती है, क्योंकि इस तरह से जटिलताएं बढ़ सकती हैं।
अपेन्डिसाइटिस की पहचान कैसे करें?
अपेन्डिसाइटिस की बीमारी में निम्न प्रकार के कुछ खास लक्षण दिखाई देते हैं और अगर ये लक्षण प्रकट हों तो अविलंब डाक्टर या चिकित्सक से संपर्क साधना चाहिए।
इसमें गंभीर दर्द का अनुभव होता है और इस दर्द की खास बात यह होती है कि यह व्यक्ति की नाभि से उदर के निचले हिस्से की तरफ बढ़ता जाता है।
पेट या उदर दर्द के तुरंत बाद मतली या उलटी की शिकायत होती है।
भूख का लगना कम हो जाता है।
इसके अलावा बुखार, पेट में सूजन तथा पेट गैस की मुक्ति में परेशानी आना भी इसके लक्षण हो सकते हैं।
इस बीमारी के उपचार कैसे किया जाए?
इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए ज्यादातर सर्जरी का ही सहारा लिया जाता है। चिकित्सक द्वारा उत्तेजित अपेन्डिक्स या परिशेषिका की सर्जरी की जाती है। एंटीबायोटिक्स को भी इसका अच्छा उपचार माना जाता है और कई मममलों यह व्यक्ति को सर्जरी से भी बचा सकता है।
अपेन्डिसाइटिस के उपचार हेतु कुछ प्राकृतिक उपाय
अपेन्डिसाइटिस के उपचार हेतु कुछ प्राकृतिक उपाय भी किए जा सकते हैं। आइए, कुछ प्रमुख उपयों के बारे में जानें-
1) मेथी दाने का सेवन
मेथी दाने का सेवन अपेन्डिक्स में पस तथा श्लेषमा के बनने पर रोक लगा सकता है। इसके सेवन से इसके दर्द से भी राहत मिल सकती है।
मेथी दाने के सेवन का तरीका: किसी बरतन में एक लीटर की मात्रा में पानी लें तथा उसमें दो चम्मच मेथी दाना डालकर आधा या एक घंटा पानी को उबाल लें। उसके बाद पानी को ठंडा होने दें और छान कर इसका सेवन करें। इस पानी का सेवन दिन में दो बार किया जा सकता है।
2) छाछ या मट्ठा
छाछ का सेवन भी इसमें काफी फायदेमंद होता है,क्योंकि छाछ आसानी से पच जाती है और आंतों को अनिवार्य प्रोबायोटिक्स प्रदान करती है जिससे बैक्टीरिया तथा संक्रमण की परेशानी से राहत मिलती है।
छाछ के सेवन का तरीका: एक गिलास छाछ लें और इसमें पिसा हुआ खीरा,अदरक,पुदीना,धनिया तथा चुटकी भर नमक मिला लें। यह सब मिलाने के बाद इस छाछ को पी लें।
3) पुदीना
पुदीने का सेवन या उपभोग भी फायदा पहुंचाता है। यह खास तौर पर मतली तथा उलटी की दिक्कत से आराम देता है।
पुदीने के सेवन का तरीका: किसी बरतन में पानी लेकर उसमें पुदीने की कुछ पत्तियां डालकर चाय तैयार कर लें और फिर इस चाय को पी लें। दिन में तीन बार पीने से दर्द में भी राहत मिलेगी।
4) लहसुन का सेवन
लहसुन में एंटीबैक्टीरियल तथा एंटीइनफ्लेमेट्री गुण मौजूद पाए जाते हैं जो अपेन्डिक्स के लिए फायदेमंद होते हैं।
लहसुन के उपभोग का तरीका: लहसुन की कुछ कलियां लें तथा उन्हें छिल लें और इनका पानी में सेवन करें। आप लहसुन की टेबलेट का सेवन भी कर सकते हैं।
5) हरे चने का उपभोग
हरा चना बहुत अधिक पौष्टिक होता है और इसमें कई प्रकार के खास पोषक तत्व मौजूद पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें एंटीइनफ्लेमेट्री यौगिक भी उपस्थित पाए जाते हैं।
हरे चने के सेवन का तरीका: एक बरतन मे पानी ले और उसमें मुट्ठी भर हरे चने भिगो दें। इन्हें एक पूरी रित पानी में भिगोने बाद अगले दिन कच्चे खाएं। इन्हें दिन में तीन बार खाया जा सकता है।
इसके लिए उपयुक्त खान-पान क्या है?
इसमें खान-पान का ध्यान रखना विशेष रूप से अनिवार्य होता है और सामान्यतः तरल आहार लेने का सुझाव दिया जाता है। इसके अलावा-
- साबुत अनाज
- ताजा फल एवं सब्जियां
- भाप में पकायी गयी सब्जियां
- फाइबर या रेशेदार आहार या खाद्य-पदार्थ
- अंकुरित अनाज
- घर पर बना पनीर तथा दही आदि को भी अपने आहार या भोजन में अवश्य शामिल करना चाहिए।
किन-किन चीजों को खाने से परहेज करें?
अपेन्डिसाइटिस के मामले में खान-पान को थोड़ा नियंत्रित करने या फिर कुछ खास प्रकार के भोज्य-पदार्थों के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है,जैसे-
- संसाधित खाद्य-पदार्थ
- एयरेटिड ड्रिंक्स
- अत्यधिक वसा एवं शर्करा युक्त भोजन
- फलियां, ब्रोकली या ऐसी सब्जियां जिनके खाने से पेट में गैस बनती हो।
- मसालेदार तथा ज्यादा तला-भुना खाना
- ज्यादा मात्रा में चाय, काफी और शराब आदि।
अपेन्डिसाइटिस की रोकथाम के लिए क्या करें?
इसकी रोकथाम के लिए निम्नलिखित कुछ उपाय किए जा सकते हैं
हमेशा ऐसा भोजन खाएं जिसमें फाइबर की भरपूर मात्रा मौजूद हो,क्योंकि ऐसा भोजन आसानी से पच जाता है।
खूब पानी पिएं। दिनभर में 10-12 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए।
प्रोबायोटिक्स का सेवन अवश्य करें, क्योंकि छाछ आदि के सेवन से शरीर में अच्छे वाले यानी लाभप्रद बैक्टीरिया की पूर्ति होती है।
इसके अलावा नियमित रूप से व्यायाम करना भी इसके बचाव में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
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