जाने कैसे निमोनिया (Pneumonia) हो सकता है जानलेवा? निमोनिया के लक्षण, कारण और उपाय

Pneumonia jankari in hindi

दोस्तों, सर्दियां शुरू हो चुकी है और ठंड में होने वाली बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। ठंड में ज्यादा फेलने वाली बीमारियों में से एक बीमारी है – निमोनिया।

निमोनिया – निमोनिया फेफड़ों (Lungs) का इंफेक्शन होता है जिसमें फेफड़ों में वायरस, बैक्टीरिया या फंगस के इंफेक्शन के कारण बलगम बनना शुरू हो जाता है। निमोनिया बच्चों और बुजुर्गों पर जल्दी अटैक करता है और बहुत ज्यादा बिगड़ने पर यह मौत के मुंह तक पहुंचा देता है। 15 साल से कम उम्र के और 50 साल से ज्यादा के लोगों को निमोनिया जल्दी अपनी पकड़ में ले लेता है।

फेफड़े हमारे शरीर में एक एयर फिल्टर (Air Filter) की तरह काम करते है। सारे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई करते है और कार्बन डाइऑक्साइड गैस को शरीर से बाहर निकालते है। इंफेक्शन बढ़ने से फेफड़े अपना कार्य अच्छी तरह नहीं कर पाते और व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

जैसा कि हम सब जानते है कि मनुष्य शरीर में दो फेफड़े होते है। अगर किसी व्यक्ति के सिर्फ एक फेफड़े में इंफेक्शन होता है तो इसे नियंत्रित करना आसान होता है किसी व्यक्ति के दोनों फेफड़ों में निमोनिया की शिकायत बढ़ जाती है तो व्यक्ति का सांस लेना इतना मुश्किल हो जाता है कि उसे वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है।

एक फेफड़े में इंफेक्शन होने पर इसे Lobar Pneumonia कहा जाता है।

दोनों फेफड़ों में इंफेक्शन होने पर इसे Bronchial Pneumonia कहा जाता है।

अगर निमोनिया किसी व्यक्ति के ब्लड प्रेशर (B.P.) पर असर डालना शुरू कर देता है तो व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बहुत लो (Low) हो जाता है।

सामान्य निमोनिया 5 -7 दिन में ठीक हो जाता है और अगर निमोनिया बढ़ गया है तो इसे ठीक होने में 1- 2 हफ्ते का समय लग जाता है। निमोनिया बिगड़ने की स्थिति में यह ठीक होने में 3- 4 हफ्ते का समय भी ले सकता है।

निमोनिया के सामान्य लक्षण

1. तेज बुखार।

2. खांसी आना।

3. चक्कर आना।

4. सांस फूलना।

5. छाती में दर्द होना।

6. बलगम का पीला होना।

7. गले में दर्द/ गले में खराश।

8. सांस लेने में तकलीफ होना।

9. खांसी करते समय खून आना।

10. शरीर में ऑक्सीजन लेवल का कम होना।

11. खांसी के साथ दस्त की समस्या का बढ़ना।

निमोनिया से बचाव के उपाय

1. एलर्जी वाली चीजों से दूर रहना।

2. स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना – हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोना।

3. धूम्रपान से दूर रहना – धूम्रपान का सीधा असर व्यक्ति के फेफड़ों पर होता है।

4. खांसी या छींक आने पर मुंह पर हाथ रखना। प्रयोग किए गए रुमाल या टिशू पेपर को धोना या डस्टबिन में फेंक देना – ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

5. हेल्दी जीवनशैली अपनाकर अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity System) को मजबूत रखना।

6. संतुलित व पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त आराम जरूर करना।

7. उचित व जरूरी वैक्सीनेशन अवश्य करवाना (निमोनिया से बचने के लिए फ्लू वैक्सीन लगवाना)। बच्चों के लिए न्यूमोकोकल कांजूगेट वैक्सीन (पी.सी.वी; PCV) – यह वैक्सीन बच्चों को 13 प्रकार के निमोनिया फैलाने वाले बैक्टीरिया से भी बचाता है।

निमोनिया के प्राथमिक उपचार

1. भाप लेना।

2. अधिक मात्रा में गुनगुना पानी पीना।

3. ग्रीन टी (Green Tea)/ लेमन टी (Lemon Tea) पीना।

4. काढ़ा (अदरक, तुलसी, काली मिर्च, हल्दी, शहद आदि को पानी में उबालकर बनाया गया पेय पदार्थ)।

5. डॉक्टर की सलाह से आवश्यक दवाइयां जरूर लेना।

जब भी आपको खांसी या बलगम की समस्या शुरू हो तो हमेशा बलगम को निकालते रहें ताकि यह छाती में जमा ना हो सके।

निमोनिया के प्रकार

1. बैक्टीरियल निमोनिया – बैक्टीरिया के कारण होने वाला निमोनिया।

2. वायरल निमोनिया – वायरस जैसे इनफ्लुएंजा (फ्लू) के कारण होने वाला निमोनिया।

3. माइक्रोप्लाज्मा निमोनिया – माइक्रोप्लाज्मा जीवाणु के कारण होने वाला निमोनिया।

4. एस्पिरेशन निमोनिया- खाद्य पदार्थ, गैस या धूल से होने वाला निमोनिया।

5. फंगल निमोनिया – फंगस के कारण होने वाला निमोनिया।

निमोनिया फैलाने वाले कुछ मुख्य कारक

1. धूम्रपान करना।

2. अस्पताल में काम करना।

3. फेफड़ों संबंधी पुरानी बीमारी होना।

4. प्रदूषित वातावरण में रहना या काम करना।

5. दवाइयों (एंटीबायोटिक और स्टेरॉइड्स) के अत्याधिक सेवन से इम्यूनिटी का कमजोर होना।

6. स्ट्रोक या अन्य किसी मानसिक परेशानी के कारण खाना निगलने में कठिनाई होने से निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।

7. वायरल इंफेक्शन या सांस संबंधी परेशानी भी निमोनिया के खतरे को बढ़ा देती है।

हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। 2016 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में निमोनिया से सबसे ज्यादा भारत में शिशुओ की मौत हुई है। भारत में प्रति वर्ष 5 साल से कम उम्र के लगभग 2 लाख बच्चों की निमोनिया के कारण मृत्यु हो जाती है।

अगर आपको भी खुद में ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे है या सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो डॉक्टर के पास अवश्य जाएं। अपनी छाती चेक करवाएं। एक्स-रे करवाएं और निश्चित करें कि सामान्य निमोनिया है जो दवाइयां से ठीक हो जाएगा दिया आपको हॉस्पिटल में दाखिल होना पड़ेगा। डॉक्टर की सलाह जरूर माने।

आपकी समस्या के अनुसार एक्सपर्ट या डॉक्टर की राय जरूर लें।/ The information is not a substitute for professional medical advice, diagnosis, or treatment.

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